Friday, December 17, 2010

तुम बस रूह से हमें अपनाने लगो

रूठ जाएँ तुमसे प्यार से मनाने लगो,
हमको हमारी चाह के दीवाने लगो.

चली हो कभी शिकवों की कलम कोई,
मेरी आँखों के आंसुओं से मिटाने लगो.

जिसे आदत नहीं बिन तुम्हारे जीने की,
उसे ना दूर रह इस कदर सताने लगो.

बड़ा दर्द है इस लब्ज़ ए जुदाई में ,
जुदा होके दिल को ना दुखाने लगो.

यूँ चुप बैठे तुम नहीं लगते अच्छे,
सुनो आवाज़ लबों को हिलाने लगो.

जिंदगी में रंग नहीं बिन आपके,
रखो कदम और इसे सजाने लगो.

रख दूँ हर डाली के फूल सिराने में,
तुम बस रूह से हमें अपनाने लगो.

Monday, December 13, 2010

क्या आज सूरज की रोशनी कम है,

क्या आज सूरज की रोशनी कम है,
जो बुझा बुझा सा बोझिल मौसम है.


दुनिया है वही पे जहा वो कल थी,
अहसास ए उदासी क्या मेरा वहम है.



जिस आशियाने की राह  भूल चुके,
उसी की तलाश में बढ़ जाता कदम है.


कभी सुनी सी हो जाती है जिंदगानी,
लगता मिजाज़ महफ़िलों का मातम है.


छलक जाते हैं ये आंसू खुद ही कभी,
गिरती जैसे चांदनी रात में शबनम है.



चाहत खुशियों की प्यास बुझा लूँ,
पर ख़ुशी की सुराही में पानी कम है.



सिने में अज़ीज़ बनके है जो रहता,
मेरा तो ईक ही सनम मेरा ये गम है.

Friday, December 10, 2010

शाम ढलते ही रोज़ ईक आहट होती है

शाम ढलते ही रोज़ ईक आहट होती है,
बड़ी अजीब ख्वाबों के जहाँ की बनावट होती है.


दूसरों को देके दर्द फिर भी हैं मुस्कराते,
क्या उनके खून में बेवफाई की मिलावट होती है.


भूल के भी जो सपनें भूलें ना जाएँ हमसे,
कुछ ऐसी ईश्क के संसार की सजावट होती है.


ज़ख्मों को और कुरेद के जो हैं लिखते,
बस आंसुओं से सजी उनकी लिखावट होती है.


रूह को जलने में खुद का देता है साथ,
इस मन के लिए नहीं कोई रुकावट होती है.


पल भर का साथ और फिर गम का दामन,
कुछ ही पल कागजी फूलों की खिलावट होती है.

Thursday, July 22, 2010

देर से ही सही पर कभी कभी बात हो जाती है

देर से ही सही पर कभी कभी बात हो जाती है,
सोच के उन पलों को आखिर रात हो जाती है.

रूबरू होता हूँ जिस रोज़ सामने आईने के,
बाद मुद्दत के सही सच से मुलाकात हो जाती है.

लोगों की नज़रे पन्नों पे हैं तो सलामत हैं,
कभी ना कभी शायरों की बंद किताब हो जाती है.

अहसास हैं जिंदा तो नगमो की कमी नहीं होती,
नज़र के फर्क से बंजर जमीं कायनात हो जाती है.

कई दफा चैन नहीं मिलता तो उदास हो जाते हैं,
फिर बेजान सूखे पत्तों सी हालत हो जाती है.

यूँ तो राख़ में है मिलना सबको कभी ना कभी,
काम आये किसी के तो जिंदगी कामयाब हो जाती है.

Tuesday, July 20, 2010

बरसती फुहारों में भीगकर थोड़ा आराम सा लगता है

बरसती फुहारों में भीगकर थोड़ा आराम सा लगता है,
किसी फ़रिश्ते का नशीला भरा ईक जाम सा लगता है.

अरसे बाद कुछ सुकून के पल हुये जैसे हासिल,
फिजा का रंग किसी बिछड़े की पहचान सा लगता है. 

कभी देखता हूँ मतलब में भागती दुनिया को तो,
हर शख्स यहां ना जाने क्यों नाकाम सा लगता है.

दूसरों की क्या बात करें जो खुद का हाल हो बुरा,
कहे कोई लाजवाब वो भी ईक ईल्ज़ाम सा लगता है. 

किसी रोज़ हँसते हुये देख ले किसी को कोई,
तो है पूछता क्या बात क्यों परेशान सा लगता है.

दर्द का दर्द जाने दर्द को महसूस करने वाला ही,
उसने दर्द में पुकारा जिसको खुद का नाम सा लगता है.

Sunday, July 18, 2010

आयी और गयी बहारें, दिन भी वो गुज़र गये

आयी और गयी बहारें, दिन भी वो गुज़र गये,
देख ज़माने की फितरत का रंग हम भी सवर गये.

कई शामो-सहर हम कर गये नाम जिनके,
छोड़ कर मुझको तनहा ना जाने वो किधर गये.

गर यहां बाज़ार में बिकता प्यार का सामान,
तो मिल जाता वो जिसे पाने अजनबियों के दर गये.

यूँ फ़ना हुये की टुकडो में हम तब्दील हुये,
तू ही बता दे क्यों तेरी आवाज़ पे ठहर गये.

वक्त तो गुज़र जायेगा ये भी रोज़ की तरह,
याद करेगा मेरी वफ़ा माना की अब हम मर गये.

इस दिल पर ज़ख्म देके तू खुश रहे हमेशा,
पर बता दे क्यों आँखों को मेरी आंसुओं से भर गये.

Thursday, May 6, 2010

वक्त ने दी आवाज़ है मौका कुछ कर गुजरने का

वक्त ने दी आवाज़ है मौका कुछ कर गुजरने का,
घूट-घूट के बहुत जी लिए आ गया है पल उभरने का. 


आसमा भी हमें अब निहारता आस में दोस्तों, 
ये भूला नहीं वो ज़मानें शहीदों के लहू बिखरने का.

जाने क्यों ईक दबी आग सुलग रही सबके दिल में यहां,

जी करता है शहादत के गीत उन दिलों में भरने का.

ये नाइंसाफी के नज़ारे, लाचारों संग हो रही ज्यादती,

अब आ गया है आखरी वक्त इन सबके ठहरने का.

दो पल की रोटी पाने के लिए जूझता है जब कोई,

नहीं देखा जाता वो मंज़र किसी की रूह के जलने का.

कुछ लोगों की उँगलियों के ईशारों पर सब की किस्मत, 

होगा ईक नया सवेरा है वक्त ये काली रात के ढ़लने का.

ओ! गहरी नींद में अब तक सोने वालों जरा जगो,

है नयी उमंग सुनहरा मौका फिर ना मिलेगा संभलने का.

अपनी ताकत का अहसास करो तुम रोने वालों कभी,

नया युग नयी संवेदना आ गया वक्त अब सोच बदलने का.

Tuesday, May 4, 2010

दिल को ईक रोज़ टूटकर बिखर जाना ही था

दिल को ईक रोज़ टूटकर बिखर जाना ही था,
खेलकर साथ इसके उसको सवर जाना ही था.

जानेवाला हँसते हुये गया मेरे सूने दर से,
आखिर आँखों को आसुओं से भर जाना ही था.

फरेब की चादर ओढ़े मोहब्बत की सूरत,
सामने उसके झुक मेरा ये सर जाना ही था.

दुनिया के सिलसिले सदियों से चलते आ रहे,
बहारों के इस मौसम को गुज़र जाना ही था.

दुआ ही दी थी अपनी हर एक सदा में उसे,
नाकाम रही तो वफ़ा का सफ़र ठहर जाना ही था.

इंसा जो सोचता है वो कहा होता है मुंकिन,
चाहा था उम्रभर का साथ उसे मगर जाना ही था.

पहचान नहीं होती भीड़ में अपनों और गैरों की,
कड़वा घूंट था सच का गले में उतर जाना ही था.

Monday, May 3, 2010

रूठा है मुझसे खुद पर ही मैंने ईल्ज़ाम लिया है

रूठा है मुझसे खुद पर ही मैंने ईल्ज़ाम लिया है,
तेरी रुखसत में बहते आसुओं को थाम लिया है.

तेरी जुदाई का डर सताता रहा मुझे रात भर,
वक्त से किया सौदा खरीद दर्द का सामान लिया है.

दिखने लगा बयाबानों पे गुजरने का मंज़र,
सोच उसी को बेचैनी में आज आराम लिया है.

ईश्क-ओ- मोहब्बत दूसरी दुनिया की चीजें हैं,
वक्त के आईने में झांक ये भी पहचान लिया है.

बीती यादें ये बहते आंसू शायद काम आयें,
भर इनको पैमाने में इन्हें बना जाम लिया है.

लाख कोशिश की लकीर हाथों से मिटाने की,
लबों ने फिर भी हर पल उसी का नाम लिया है.

Saturday, May 1, 2010

शाम है अकेली तन्हाई का आलम छानेवाला है

शाम है अकेली तन्हाई का आलम छानेवाला है,
दर्द की राह देख रहा कोई लेके दर्द आनेवाला है.

तनहा घूमता रहता है रात भर यहां से वहां,
क्या चाँद भी किसी को दिल से चाहनेवाला है.

सूबे आँख खुली तो चेहरे पे अहसास पाया था,
दिन भर रहा साथ अब छोड़ मुझे जानेवाला है.

सांसे विरहा में कभी तेज़ कभी धीमी हो रही,
बड़ी मुश्किल से आंसुओ को आज संभाला है.

नदी से तड़पते हुये जैसे निकलती है मछली,
कुछ यूँ दिल की यादों को दिल से निकाला है.  

गहरी है चोट और गहरा है ईक दर्द पराया,
हँस के जो उसे ढ़ो रहा बड़ा अज़ब दिलवाला है.

आज है तूफां कल ये झोंके बहार लायेंगे

आज है तूफां कल ये झोंके बहार लायेंगे,
तू सब्र कर ए दिल खुशियाँ हज़ार लायेंगे.

जिसे देख हैरत करेगा ये आसमा ,
ऐसा कुछ कारवां वक्त-ए-इंतजार लायेंगे.

अधूरे सपने पूरे हो जायेंगे उस दिन,
लम्हें चुरा तेरा बरसो का प्यार लायेंगे.

शिकवा ना कर जिंदगी से ए दोस्त,
फ़रिश्ते ईक रोज़ चैन का कारोबार लायेंगे.

आज दूर दिखती है मंजिल की ज़मीं,
तेरे कदम चलकर उसे दो-चार लायेंगे.
 
बंज़र जमीं पे तू आज बो कुछ सपने,
कल ये ही यहां खुशियों का गुलज़ार लायेंगे.

Saturday, April 24, 2010

मैं क्या बना ज़माना बना दीवाना तेरा

अदा की शोखिया, प्यार में सताना तेरा,
अज़ब ख़ुशी देता है हँस के जलाना तेरा.
 
ये वक्त ये पल जब गुज़र जायेंगे,
याद आएगा नादानों सा मनाना तेरा.
 
दूर कहीं हसीं वादियों सा अहसास,
कर गया असर प्यार के गीत सुनाना तेरा.
 
चाहत के सपनों के गहरे रंग घोलकर,
दिखता है ख्वाबों की तस्वीर बनाना तेरा.
 
सुनहरी जुल्फें जब लहराती हैं हवा में,
दिल में आग लगायें यूँ हुस्न दिखाना तेरा.
 
वो सादगी दी तेरे चेहरे को खुदा ने,
मैं क्या बना ज़माना बना दीवाना तेरा.

Thursday, April 22, 2010

क्या मिलेगा मुझ से ज्यादा चाहनेवाला

हर मोड़ पर तेरा जो साथ निभानेवाला,
रंगीन हूँ तुझसे नहीं रंग जमानेवाला.

लोग समझते हैं इसे दिवानापन मेरा,
खुदा जाने वो ही इस राह तक लानेवाला.

ईश्क के हालत मोहब्बत की बयानगी, 
तू ही चाहत के गीत सिखानेवाला. 

जीने के बहाने मिल गये हैं आजकल,
वैसे क्या लेके जाता है यहां से जानेवाला.

ईक पल को दिलो-ओ-दिमाग से नहीं हटता,  
तुझे हर ख़ुशी दे जायेगा ये हसीं थमानेवाला.

तू देख जरा इस बेवफा दुनिया को हमदम,
और बता क्या मिलेगा मुझ से ज्यादा चाहनेवाला.

Sunday, April 11, 2010

आज फिर ईक कदम उस ओर बढ़ाना चाहा

दिल की आवाज़ को लबों से सुनाना चाहा,
खुद को ही खुद का हाल दिखाना चाहा.

अपने सपनों के आशियाने की तलाश में,
दुनिया की भीड़ में ग़मों को छुपाना चाहा.

आँखों के अश्कों का समंदर काम आया,
जब-जब ज़माने ने निगाहों से गिराना चाहा.

चेहरे की खिलती इस हँसी की खातिर,
दर्द की आग में अरमानों को जलाना चाहा.

अपनी ही कमियों पे पर्दा डालने के लिए,
साख पर बेवफाई का ईल्जाम लगाना चाहा.

कभी तो किनारे की ज़मीं हासिल होगी मुझे,
आज फिर ईक कदम उस ओर बढ़ाना चाहा.


Saturday, April 10, 2010

काँटों की राहें, नये-नये याराने मिले

काँटों की राहें, नये-नये याराने मिले,
हर मोड़ पर ज़ख्म वही पुराने मिले.

चाहा था छोड़ दूंगा तेरा साथ साकी,
पर हर गली पर फिर तेरे मैखाने मिले.

दिल को जब प्यास लगी ईश्क की,
तो दर्द-ओ-गम से भरे पैमाने मिले.

जब कदम चले उस मंजिल की ओर,
महफ़िल के सारे चेहरे बेगाने मिले.

किस्मत ने भी आंसू बहाए खुद पर,
उसे बेकिस्मती के वो फ़साने मिले.

कभी हँसे तो कभी उदास रहे हम,
हसरतों के कहाँ किसको ज़माने मिले.

Thursday, March 11, 2010

दिल हर घड़ी उसे ही बुलाये तो

देर से आये फिर भी आये तो,
आश थी वैसे हम घबराये तो.

फूलों से भर दूंगा मैं उसे,
तेरा दामन हाथ में आये तो.

हम बेच दें अपनी हर ख़ुशी,
तू दिल से हमें अपनाये तो.

विरहा के पल हैं सता रहे,
आके पास मुझे गले लगाये तो.

इक सदा की तड़प है दिल में,
कानों मैं मेरा नाम दोहराये तो.

कोई बतायें मुझे मैं क्या करूँ,
दिल हर घड़ी उसे ही बुलाये तो.

Friday, February 26, 2010

दिल में रहता हूँ गुलाब देखना

दिल में रहता हूँ गुलाब देखना,
वफ़ा का चेहरा ख्वाब देखना.

फुरसत हो मेरा हाल सोचना,
दिल की खुली किताब देखना.


गुनगुना लेना इक अफसाना,
बंदिशों को थोड़ा बाद देखना.

रात चलती हवा से पूछना,
देगी जवाब दिया जवाब देखना.

दिवानगी का राज़ ढूँढना,
गौर से अपना सबाब देखना.

होगा किस रंग का फ़साना,
आने वाले वक्त का हिसाब देखना.

Tuesday, February 23, 2010

पलकें बंद करते हुये डरता हूँ

पलकें बंद करते हुये डरता हूँ,
हर पल उसका सजदा करता हूँ.

खो जाती है दुनिया की तस्वीर,
मैं फिर ख्वाबों से उभरता हूँ.

साँस लेने का भी इक कारण है,
लेता साँस उसकी बात करता हूँ.

तुम किस से डरते हो दोस्तों,
मैं बस उसकी जुदाई से डरता हूँ.

जानना चाहते हो तबीयत का हाल,
कभी जीता हूँ तो कभी मरता हूँ.

बड़ी अजीब सी सजा ये मोहब्बत,
जहाँ दूरी का दर्द वही से गुज़रता हूँ.

Monday, February 22, 2010

रात भर हवा से पेड़ों के पत्ते लहराते रहे

रात भर हवा से पेड़ों के पत्ते लहराते रहे,
वो यादों में कभी आते रहे कभी जाते रहे.

बज रही थी मन के कोने में कहीं शहनाई,
खुद ही गाते रहे खुद को ही सुनाते रहे.

गुजरी है कल की रात आसमां निहारते,
तारे जगमगाते रहे रोशनी बिखराते रहे.

गुमसुम बैठा रहा सोता जगता रहा,
अधियारे के मंज़र मुझे आजमाते रहे.

बंद आँखों में देखा पहचाना सा चेहरा,
चेहरा वो तेरा देख मुझे शरमाते रहे.

जी किया भर लूँ तुझे आज बाँहों में,
मिलन को है वक्त खुद को समझाते रहे.

Sunday, February 21, 2010

आसमां का तारा सा नज़र में उतर गया वो

आसमां का तारा सा नज़र में उतर गया वो,
दिल की दी आवाज़ जो सुनी ठहर गया वो.

ख़ुशी हो चाहे गम नज़रें उसे ढूढती हरदम,
चिराग जला रात का जाने किधर गया वो.

रातों को सपनों में नीदें उड़ाने वाला,
छोड़ मुझे तनहा इस शाम लौट घर गया वो.

आया तो कल भी था रात ख्वाबों में,
पर नज़र न मिली सर झुकाये गुज़र गया वो.

कुछ मीठे से साज़ सुनाते रहा रात भर,
सहर आई तो छोड़ आज की सहर गया वो.

अब नहीं बहता दर्द का भयानक दरिया,
ईक ज़ख़्म था दिल में गहरा उसे भर गया वो.

Saturday, February 20, 2010

रेशमी जुल्फें उलझाये हुये रखना

रेशमी जुल्फें उलझाये हुये रखना,
इंतजार में दिल बहलाये हुये रखना.

जब आऊंगा घर वापस शब में,
हर मसले को सुलझाये हुये रखना.

मिलने की गहरी प्यास होगी,
बाँहों को अपनी फैलाये हुये रखना.

बारिश में भिगूँगा संग तेरे,
घटाओं को थोड़ा ठहराये हुये रखना.

तेरी आवाज़ में सुनूंगा नगमा,
गीत लबों पे दोहराये हुये रखना.

हँसती हो तो अच्छी लगती हो,
हँसी से चेहरा चमकाये हुये रखना.

सुकूं होगा दहलीज़ पे निहार कर,
धीरे से कदम शरमाये हुये रखना.

Tuesday, February 16, 2010

रोशनी में सजे सजे शहर के मैखाने हैं

रोशनी में सजे सजे शहर के मैखाने हैं,
तेरा नाम लेते लेते पी रहे दीवाने हैं.

साकी भी पूछता तेरे घर का रास्ता,
कैसे हसीं दिलकश तेरे अफसाने हैं.

जाम भी मचल गया तेरा चर्चा सुन,
तुझे ही पुकारते पागल देख पैमाने हैं.

डर है ना बहक जाएँ कहीं हम भी,
बहकने से रिश्ते कुछ जाने पहचाने हैं.

महफ़िल में दुवा सलाम है हो रही,
नहीं पता कौन अपने कौन बेगाने हैं.

हँसतें चेहरे जो सब एक से लगें,
आज के जाने कल के अनजाने हैं.

Monday, February 15, 2010

तू रूठा ना कर बिन तेरे किसका गुज़ारा होगा

तू रूठा ना कर बिन तेरे किसका गुज़ारा होगा,
बहेंगें आसूं हर आसूं में नाम तुम्हारा होगा.

तेरे बगैर मेरी कश्ती की मंजिल बहुत दूर,
मेरी पहुँच से दूर इस सागर का किनारा होगा.

कभी अनजाने में हो जाती है कुछ गलतियां,
कर दो माफ़ तुमसा कौन अपना हमारा होगा.

जब तू ना हो पास मेरे तो दर्द उठता है,
रूह ने जाने कितनी दफा तुझे पुकारा होगा.

लगती है ठोकर कभी तो हंस देता हूँ मैं,
क्योंकि कोई हो ना हो पर तू मेरा सहारा होगा.

तेरा मेरा मिलना जब जब होता है हमदम,
लगे खुदा ने तुझे मेरे लिए जमीं पे उतारा होगा.

Sunday, February 14, 2010

मुलाकात फिर बात फिर गुलाब आया

मुलाकात फिर बात फिर गुलाब आया,
कैसी ये दास्ता घटी रूबरू माहताब आया.

महफ़िल की भीड़ से जो दूर गया,
उस भोली सी सूरत का ख्वाब आया.

उसका नशा खूब चढ़ा है आजकल,
क्योंकि बातों में समा वो शराब आया.

यूँ हुवा लेन देन दिल से दिल का,
बना बेगाना कर खुद को खराब आया.

आरजू को मिला रास्ता मंजिल का,
मैं हूँ तेरी जो यूँ उसका जवाब आया.

दीवानगी की ये जो अलख जगी,
क्या कहूँ कैसा तुझ पे शबाब आया.

Saturday, February 13, 2010

गुलशन महक गया आदाब आया

गुलशन महक गया आदाब आया,
महफ़िल में फिर वो बेनकाब आया.

मुझसे लोगों ने पूछा नाम उसका,
लबों पे न मेरे कोई जवाब आया.

अरमा उतर आयेंगें कागज पे ,
साकी ले के प्याला शराब आया.

खैर जिंदगी की मैं मांग लूँ,
याद उसका जादुई शबाब आया.

कसक उठी दिल में चाहत की,
इक नाम सदा में जनाब आया.

मेरी आवारगी देख हँसा वो,
आशिक का मुझे ख़िताब आया.

दिल से जो निकले नाम वो तुम्हारा होता है

दिल से जो निकले नाम वो तुम्हारा होता है,
सूरत जो देखूं तो बहकने का ईशारा होता है.

दिल की लगी को यूँ ही बुरा नहीं कहते लोग,
इस रस्ते पर चलने वाला ही आवारा होता है.

रात भी है चांदनी भी है पर मज़ा नहीं,
बिन महबूब के अब किसका गुज़ारा होता है.

चंद लम्हों का साथ फिर बोझिल तन्हाई,
तेरे आने से पहले का दर्द अब दूबारा होता है.

कभी दूरियां दरमियां तो कभी नजदीकियां,
इस आग में जलने वाला ही बेचारा होता है.

कौन समझे किसी की आपबीती जनाब,
ईश्क करो देखो कैसे दिल बंजारा होता है.

Wednesday, February 10, 2010

दुवा से जो मिली दवा अब तो निखर जायेंगे

दुवा से जो मिली दवा अब तो निखर जायेंगे,
तेरी हर राह में फूलों से हम बिखर जायेंगे.

चल रहे हैं सुन-सुन आपकी मीठी सदायें,
बता तो मंज़िल ये कदम बढ़ते उधर जायेंगे.

सुकूं की तलाश में फिरते हैं रोज़ दर-बदर,
इसे पाने तेरी नज़रों से मिला नज़र जायेंगे.

हासिल हो गयी जैसे जमी पे जन्नत मुझे,
बता दे तेरे दामन के सिवा किधर जायेंगे.

आज का दिन जाने क्यों कल सा लगता है,
तेरी यादों में निकल शामो-सहर जायेंगे.

खुदा ना करें तू कभी जुदा हो जाये मुझसे,
तेरा नाम लेते-लेते दुनिया से गुज़र जायेंगे.

Saturday, February 6, 2010

कैसा ये जमघट यहाँ लगा है ज़माने का

कैसा ये जमघट यहाँ लगा है ज़माने का,
लगता है वक्त हो गया अब तेरे आने का.

मेरी नज़र से जब तेरी नज़रें मिलती है,
फिसलता है दिल देख अंदाज़ शरमाने का.

ए साकी ना पूछ चेहरे की हँसी का राज़,
मुझे नहीं है पता रंग उसके फ़साने का.

चुरा वो ले गयी नींदें मुझे हँसा हँसा कर,
पूछा तो बोली नाम फ़लाने का फ़लाने का.

हुआ आगाज तो अभी होगा अंजाम भी,
आज दौर है महफ़िल में रंग सजाने का.

वक्त आएगा तो दिखा भी देंगे यार तुझे,
ये ना पूछ क्या होगा अंदाज़ दिखाने का.

Tuesday, February 2, 2010

चाँद को देख ना सोच ऐसा भी यार होगा

चाँद को देख ना सोच ऐसा भी यार होगा,
दिलों में दिलदार कोई तेरा दिलदार होगा.

जो होगा वो आईने के माफिक ही होगा,
जब टूटेगा धुयें का गुबार ही गुबार होगा.

जहाँ मिलेगी जिंदगानी को कुछ राहत,
बेनसीब वो तेरे सपनों का गुलज़ार होगा.

बिक गये हैं बिक भी रहें हैं वफ़ा के फूल,
कल तेरी शोहरत का लूटा बाज़ार होगा.

क्या मिलेगा तुझे अदावत ही तो मिलेगी,
बर्बाद होगा वो तेरे ईश्क का इज़हार होगा.

नहीं देखा तो देख लें खून का लाल रंग,
जिगर में तेरे उसका ही नाम दीदार होगा.

Monday, February 1, 2010

अश्क-ए-निहान तू मुझे सताता बहुत है

अश्क-ए-निहान तू मुझे सताता बहुत है,
मुस्कराता है जब-जब जलाता बहुत है.

सितम तेरे है या कह दूँ वहशत है मेरी,
मुझको गाफिल हो तू पिलाता बहुत है.

गर्दिश-ए-दौर वो बीत चूका है कब के,
क्यों रातों को नींद से उठाता बहुत है.

इक-इक पल यूँ दुश्वार है रुखसत में तेरी,
फिर भी ये दिल ज़माने से छुपाता बहुत है.

इशरत की आरजू फ़ना ना हो जायें मेरी,
दिल मेरा सपनों के महल बनाता बहुत है.

जुदा होयें तुझसे आज अरसा है गुज़र गया,
जालिम जब याद आयें तो रुलाता बहुत है.

Saturday, January 30, 2010

कायनात में फिरते वो बेनकाब बिन बादल बरसात हुयी है

कायनात में फिरते वो बेनकाब बिन बादल बरसात हुयी है,
क्या माहताब क्या गुलाब मुदद्तों बाद मुलाकात हुयी है.

ख्वाबों की कैदगाह का सख्त कफस टूटा हो जैसे आज,
मिला हिसाब को हिसाब हुआ धोखा रंगीन हयात हुयी है.

ए दरिया तेरा शुक्रिया देखी तुझमें आज सूरत है अपनी,
घाटी में हरियाली रंग पर कहा मौजों की शुरुआत हुयी है.

अब तो पत्थर से भी बदतर हो गया नाज़ुक सा दिल,
बिता जो मुझ पे बिता दर्द की भी क्या कोई जात हुयी है.

आदतों में बदल चूका हूँ, पहले सा अब रहा कहाँ हूँ,
मात ही मात हुयी है कब्रों से भला किसकी बात हुयी है.

सहर ने बताया मुझे आज रोज़ कुछ तो होगा ख़ास,
वक्त पे तो वो काम ना आया फिर वही बेदर्द रात हुयी है.

Friday, January 29, 2010

वो पागल है कहती है दुआ से किस्मत सवर जाती है

वो पागल है कहती है दुआ से किस्मत सवर जाती है,
मैंने पूछा तेरी दुआ की वो सदा जाने किधर जाती है.

नहीं पता कहा असलियत के कदम रखते हैं कदम,
दिल और दिल के बीच की हर माला बिखर जाती है.

सुना है वो खुशनुमा मिजाज़ की चादर ओढ़ती है,
सूरज की पहली किरण निकलते ही उधर जाती है.

उसके क़दमों के जादू का बखान करते हैं यहाँ सब,
बहार ही बहार हैं खिलती जहाँ से वो गुजर जाती है.

बदल देती है महफ़िलों का माहौल पल में कुछ यूँ,
आवाज़ की रूमानियत सुन उभर रोज़ सहर जाती है.

हम तो काफिरों में और टूटे दिलों में होते हैं शामिल,
दर पे आती हैं आवाजें, मेरे ना होने की खबर जाती है.

Wednesday, January 27, 2010

भूल गये खुद को अब खुद से ही अनजान हैं


भूल गये खुद को अब खुद से ही अनजान हैं,
कभी जाने-पहचाने कभी अजनबी से इंसान हैं.

पल के साथी बने और पल के बने मेरे दोस्त,
क्या करे बयां जो खुद नहीं खुद के राजदान हैं.

फासले कम नहीं होते सफ़र के बाद सफ़र,
बहुत दूर मंजिल क्या बतायें कितना परेशान हैं.

मुस्कराहटें हैं खिलती कभी आंसुओ की बारिश,
जाने क्यों दिल वाले होते थोड़ा थोड़ा नादान हैं.

धुआं उठते देखते थे देखते थे चेहरा किसी का,
हो गये मिट्टी, वो मंज़र भी हो गये वीरान हैं.

कल जो ये राहें कुछ हँसते-हँसते बोलती थी,
दर्द-ओ-गम की लगी नज़र आज जो सुनसान हैं.

Tuesday, January 26, 2010

मुलाकातों मुलाकातों में हुजूर हमें जान जाईये



मुलाकातों मुलाकातों में हुजूर हमें जान जाईये,
दिल की सुनो अब दिल का कहा मान जाईये.

ये जीस्त बड़ी कीमती इसका हर पल कीमती,
अपने ख्वाबों की तस्वीर अब पहचान जाईये.

आते हैं लोग, और यहाँ से फिर जाते हैं लोग,
बता दें क्या है नाम यूँ ना बन अनजान जाईये.

बेरंग से हैं हम बेखुदी में अब आता नहीं मजा,
खिले चेहरा जिससे थमा वो गुलिस्तान जाईये.

नशा नहीं होता हमें, जो अब पीते हैं शराब तो,
हो जायें मदहोश नज़रों से जता पैमान जाईये.

तन्हाई में गुज़र रहा सफ़र नज़ारे भी हैं सुनसान,
रूह को जो दे सकूँ कुछ ऐसा कर अहसान जाईये.

सूरत की सादगी, खूबसूरती को पी गया बना पैमाना


सूरत की सादगी, खूबसूरती को पी गया बना पैमाना,
मिला उसकी नज़रों से नज़र बन गया उसका दीवाना.

हर एक अदा को उसकी ख्वाबों में देखता रातों को,
फूलों से सजी-सजी धरती हर मंज़र लगे अब सुहाना.

चाँद में उसके अक्स को जब देखा मैंने आज रात भर,
तब समझा क्यों कहता है पागल आशिकों को ज़माना.

जिंदगानी के बाद कज़ा, कज़ा के बाद फिर जिंदगानी,
कैसा ये अज़ब सा सदरंगों से सजा है वक्त का फ़साना.

दुनिया में रश्क है लोगों को जाने क्यों दिलवालों से,
हमें तो अपने किये वादे को है यहाँ मरकर भी निभाना.

फरियादी की फरियाद को जब सुन ले तू ए मेरे खुदा,
फिर यहाँ कौन है किस से दूर, है कौन किस से बेगाना.

टूटा जो दिल रोया जो दिल आँसुओ का वो नज़ारा होगा


टूटा जो दिल रोया जो दिल आँसुओ का वो नज़ारा होगा,
हमसे ना पूछ तू साकी बाद उसके हाल क्या हमारा होगा.

दिल ने दी हैं दुवायें उसके लिए ही निकलती मेरी सदायें,
सोच ज़रा दें हमें बता बाद उसके क्या ईश्क दोबारा होगा.

बयाबानों की हम खाक छानेंगे, तन्हाई का होगा आलम,
आँखों में उसकी तस्वीर लिए बेखुदी का एक मारा होगा.

पागल कहेगा कोई दीवाना कहेगा, कोई हम पे हँसेगा,
बहेगा इस दिल से खून देखने वालो में जहाँ सारा होगा.

सपने बिखर जायेंगे दिन और रात जैसे तब ठहर जायेंगे,
ना देखेगी नज़र पलट, नाम किसी ने राह में पुकारा होगा.

रोयेंगे हम अकेले-अकेले नहीं रहेगी और जिंदगी की चाह,
चाहेगा दिल जिसका साथ ए साकी साथ वो तुम्हारा होगा.

Friday, January 15, 2010

कम हो रही हर पल जिंदगी एक दिन सब गुज़र जायेंगे


कम हो रही हर पल जिंदगी एक दिन सब गुज़र जायेंगे,
सजा लो सपने देख लो सपने इक रोज़ सब बिखर जायेंगे.

बुजदिल भी हैं यहाँ, ज़िन्दादिलों की भी कोई कमी नहीं,
जो टूटा दिल लिए फिर रहे उनसे पूछो वो किधर जायेंगे.

अजीब ये दुनिया कभी रोते आना बिना बताये फिर जाना,
आज जो हमारे इतने करीब एक दिन छोड़ वो घर जायेंगे.

मायने तलाशता हूँ कभी-कभी वजूद क्या चीज़ होती है,
आज सब बोल रहे, ख़ामोशी लिए एक रोज़ मर जायेंगे.

तभी कहते हैं एक-एक पल को खुल कर तुम सब जियो,
जाने वाले कुछ कर यहाँ हसी यादों से आँखें भर जायेंगे.

मरने से तुम डरना नहीं, यूँ तो मरेंगे एक रोज़ हम भी,
पर जाने से पहले दोस्तों तुम्हें कर जरुर खबर जायेंगे.

Thursday, January 14, 2010

जिंदगी तुने मुझे कितने अफसानों से मिलाया



जिंदगी तुने मुझे कितने अफसानों से मिलाया,
महफ़िल से दूर लेजा तुने अनजानों से मिलाया.

सर पर छत ना थी मेरे और तेज़ बारिश थी,
मेरी कस्ती को तुने बेरहम तूफानों से मिलाया.

लाचार हुये जब, हमने सहारों की तलाश की,
पर तुने मुझे मतलबी मेहमानों से मिलाया.

टूटे नहीं हम, पर आँखों से आंसू जरुर बहायें,
जब काँटों से सजे बंज़र बयाबानों से मिलाया.

अपने हिसाब है एक सवाल के कई जवाब हैं,
प्यासा था मैं तुने ज़हर भरे पैमानों से मिलाया.

बदलना यहाँ फितरत है जूझना मेरी आदत,
सिखा जिनसे मुझे उन इम्तिहानों से मिलाया.

आग लगी, मैं जला, बोले वो ये हम हैं


आग लगी, मैं जला, बोले वो ये हम हैं,
मैं जला, जो ना जले वही तो मेरे गम हैं.

मिटाना चाहो तो हमें मिटा दो यार तुम,
सहा नहीं जाता मुझसे बुरे ये सितम हैं.

देखना चाहो तो देख लो वो गहरे निशां,
आगे बढ़ क्यों सहमे से तेरे कदम हैं.

इत्तेफाक रखते हो दो पल की जिंदगी से,
वक्त का क्या भरोसा दो पल के सनम हैं.

किस्मत वालों को नसीब होगी जन्नत,
जी रहे हो जीओ ये मालिक के करम हैं.

रोना क्या, आसूं बहाना है तुम्हें क्यों,
इस जनम जो ना मिले आगे भी जनम हैं.

कभी यहाँ भी बहारों के कारवां चले होंगे


कभी यहाँ भी बहारों के कारवां चले होंगे,
गुलिस्ता के फूल महकते हुये खिले होंगे.

तस्सवुर सजा रहा उन सुनहरे लम्हों का,
जब यहाँ दो दिल एक दूजे से मिले होंगे.

हवा ने छुये होंगे मिलन के हसी नज़ारें,
मोहब्बत की आग में दो परवाने जले होंगे.

दीवानगी की खुशबू आ रही इस मिट्टी से,
नज़रों से नज़रें मिला दिन रात ढले होंगे.

उन्हें क्या डर जिनको रूह पर ऐतबार हो,
बहती नदी को रोकने वाले यहाँ भले होंगे.

कुछ इबारतों का लेखा मिट नहीं सकता,
सच्ची मोहब्बतों के कुछ ऐसे ही सिले होंगे.

Wednesday, January 13, 2010

शराबों में नहीं जो नशा, वो आज तुम अपनी नज़र से चढानें लगे


शराबों में नहीं जो नशा, वो आज तुम अपनी नज़र से चढानें लगे,
ज़रा बताओं क्या बात हुयी जो चाहत के गीत यूँ गुनगुनाने लगे.

ये वक्त जैसे बंद मुट्ठी में रेत सा, आज फिर हाथों से निकल गया,
कहानी परियों की सुना, हाय तुम क्यों इतनी जल्दी अब जाने लगे.

आपकी सोच में अपने हर लब्ज को आज रंगों से जैसे सजों रहा,
लगता है ग़ज़ल को शराब बना, आज खुद को ही हम पिलाने लगे.

बहुत नज़ारे हैं यहाँ, सब में एक अलग आरजू नज़र आये हमें,
हर नज़र की नज़रों के जादू से, हम खुद को अब यहाँ बचाने लगे.

तम्मना का अहसास फिर से जगा, रोशन सा जहाँ महसूस हुआ,
हर दर्द हर सोज़ को ए मेरे सनम, आज फिर हम जैसे हराने लगे.

ईश्क का दौर कभी आसां नहीं, मुश्किल ये राह है दिलवालों की,
याद आया गुज़रा वो दौर, आज फिर उस नाकामी से घबराने लगे.

क्यों ना एक दाँव और खेले, फिर किस्मत आजमाते हैं


क्यों ना एक दाँव और खेले, फिर किस्मत आजमाते हैं,
गम को छुपा दो ज़रा, दिलवाले ही दर्द में मुस्करातें हैं.

सीख जहाँ के रिवाजों से, ख्वाबों को हमेशा जिंदा रख,
तेरी हार में ही जीत के रास्ते बंदे खुदा तुझे दिखाते हैं.

तुझे मोहब्बत ना मिली, तो मोहब्बत ही जिंदगी नहीं,
जाने क्यों ईश्क में लोग यहाँ अपनी हस्ती को मिटाते हैं.

रात का अँधियारा बीत गया तुम दिन का उजाला देखो,
हिम्मत वाले ही राह की हर मुश्किल हंसकर हटाते हैं.

मजाक बनाये ये जमाना तेरा, इस कदर ना तू आंसू बहा,
होश वाले दिल की बातों को, दिल में ही दोस्त छुपाते हैं.

हसरतों का सुहाना मंज़र ना कभी सलामत रहा है दोस्त,
तुम सपनें ना देखो यहाँ, सुना है सपनें अक्सर टूट जाते हैं.

Sunday, January 10, 2010

सबकी नज़रों से दूर, फिर तन्हाई में आज ये दिल रोया है


सबकी नज़रों से दूर, फिर तन्हाई में आज ये दिल रोया है,
जिसे पाकर खुदा को पाया ईश्क का वो हसी मंज़र खोया है.

रातें भी तन्हा, दिन भी मेरे रहते हैं अब तो खाली-खाली,
वक्त का कुछ पता नहीं, शख्स ये जाने कब से नहीं सोया है.

आँखें की बंद, उसकी नफस का फिर रोकर अहसास किया,
दिल के दर्द को यहाँ हर एक ग़ज़ल मैंने में सदा पिरोया है.

आँखों में समुंदर समाया है मेरे, गहराई का अंदाज़ा नहीं,
यादों को लिखूं मैंने हर एक पन्ने को आंसुओ से भिगोया है.

दिल का दर्द सहन नहीं होता कभी, रोकर फिर आराम मिले,
कितनी रातों में खुद को जाने, साकी संग मैखाने में डुबोया है.

ना भूला ना ही भूलूंगा, मोहब्बत के उस बिछड़े फ़रिश्ते को,
उसकी हर याद को, अपनी रूह में हमेशा के लिए सजोया है.

Saturday, January 9, 2010

मैं क्या कहूँ मेरे ज़ज्बातों का चश्मदीद गवाह ये ज़माना रहेगा


मैं क्या कहूँ मेरे ज़ज्बातों का चश्मदीद गवाह ये ज़माना रहेगा,
जिसे सब याद रखेंगें, मेरी कलम का ऐसा कुछ फ़साना रहेगा.

ना रहे अगर तो क्या हुआ मरना तो सबको है दोस्तों एक रोज़,
मरूँगा तो इस बदनाम को याद करने का ये एक बहाना रहेगा.

कितनी सदियाँ आयी, जाने कितनी और सदियाँ यहाँ आयेंगी,
आने वाले आयेंगे इस महफ़िल में, चलता ये आना-जाना रहेगा.

महबूब मेरे माहताब में देखूँ तेरे चेहरे के निशां मै यहाँ हर रात,
पत्थर दिलों को याद हमेशा तेरे जिक्र पर मेरा वो रुलाना रहेगा.

मेरी वफाओं को कौन झूठा कह सकता है इस बेदर्द से जहाँ में,
सब देंगें यहाँ दाद जिसे कुछ इस कदर मेरा ईश्क निभाना रहेगा.

इक पल को सब देखते मुझे, बाद उसके वो सब भूल जाते मुझे,
सहना है अब खुद मैंने जिसे याद मुझे तेरा वो दिल दुखाना रहेगा.

Friday, January 8, 2010

अगर अहसास हैं मुझ जैसे, तो इक बार तू ये नज़ारा देख


अगर अहसास हैं मुझ जैसे, तो इक बार तू ये नज़ारा देख,
हो सके तुझसे तो हर मंज़र में, तू केवल नाम हमारा देख.

हम तो दीवाने हैं जियेंगें भी और तेरी नज़र में मरेंगें भी,
ज़रा गौर से देख मुझे तेरी चाहत की चाह का मारा देख.

हूँ मनमौजी तो क्या हुआ, दिल सच्चा मेरा आसमां सा,
ईश्क में डूब गया, हूँ कैसा बदनाम आज इक आवारा देख.

मुझ जैसा ना मिला होगा, ना ही मिलेगा तुझे शायद कभी,
आरजू लेकर आयी सपनों की महफ़िल का सेज सारा देख.

तेरे ख्वाबों में आऊंगा एक रोज़ तेरी नीदें ज़रूर चुराऊंगा,
आँखों में सूरत है तेरी, चमक रहा खुबसूरत सितारा देख.

मैं नहीं कहता मेरी राह के तस्सवुर सजा तू ए दिलबर,
हो सके तो मेरी इस अनदेखी सी शक्ल को दोबारा देख.

Thursday, January 7, 2010

वो लब्ज जिनमें कहा उसने, हमें तुमसे प्यार है


वो लब्ज जिनमें कहा उसने, हमें तुमसे प्यार है,
कैसे कहूँ दिल मेरा आजकल तेरे लिए बेक़रार है.

आँखों में हजारों सपने हर सपने में ख्वाहिश तेरी,
मेरी प्यासी रूह को तेरे ईकरार का ही इंतजार है.

सोचता हूँ बीती यादों को हमेशा के लिए भूल जाऊ,
हसरत पूरी नहीं हुयी अब ख्वाबो-ख्याली बेकार है.

ऐसे जले की जलने के दाग मिटे नहीं आज तक,
बैचैन दिल में गुज़रे पल का दर्द उठता बार-बार है.

ख्वाबों में मिला हूँ, कभी मिलूँ उससे ख्यालातों में,
मेरी ख़ुशी और मेरे बीच पुरानी यादों की दीवार है.

हँसी आती है कभी, अपनी इस बड़ी कमजोरी पर,
मरते हुये जी रहा ये शख्स यहाँ ईश्क में लाचार है.

Wednesday, January 6, 2010

मेरे ख्वाबों को दिल में लिए, वो बहारों का गुलज़ार सजाती थी



मेरे ख्वाबों को दिल में लिए, वो बहारों का गुलज़ार सजाती थी,
ख्यालों में मेरी ही तस्वीर बना, इस दुनिया से उसे छुपाती थी.

मैंने खुदा को पाया उसमें, दिल्लगी में उसके ही मैं फ़ना हुआ,
जिसे तलाशता हर शख्स यहाँ, उस जन्नत से मुझे मिलाती थी.

यूँ तो पत्थरदिल हुआ करते थे, मोहब्बत से भी अनजान थे हम,
रुख मोड़ दिया मेरा, आंसुओ की नदियों में मेरा नाम बहाती थी.

हर आवाज़ में एक संगीत है, हर नज़र में एक कशिश अजीब हैं,
आँखों से आँखें मिला, अपने ईश्क के ईजहार का गीत गाती थी.

आज हैं हम बेघर, वो इक दौर था जब हम चाहत के मकां में थे,
खोयी-खोयी सी हर लम्हें में मोहब्बत का आशियाँ बनाती थी.

ईश्क के निशां मिटते नहीं, ईश्क करने वालो से पूछो क्यों नहीं,
पहले जो सुनी नहीं थी,  बेकरारी की उन सदाओं को सुनाती थी.

वो महसूस किया जिसे अहसास कहते हैं, अब दिन रात सहते हैं,
सूरज की पहली किरण बिखरी हो जैसे, यूँ वो मिलने आती थी.

ज़ज्बात सही से बयां ना कर सका कभी, यहाँ ये मुंकिन नहीं,
चाँद सा रोशन कर छोड़ जाती मुझे, मिलकर जब वो जाती थी.