रोशनी में सजे सजे शहर के मैखाने हैं,
तेरा नाम लेते लेते पी रहे दीवाने हैं.
साकी भी पूछता तेरे घर का रास्ता,
कैसे हसीं दिलकश तेरे अफसाने हैं.
जाम भी मचल गया तेरा चर्चा सुन,
तुझे ही पुकारते पागल देख पैमाने हैं.
डर है ना बहक जाएँ कहीं हम भी,
बहकने से रिश्ते कुछ जाने पहचाने हैं.
महफ़िल में दुवा सलाम है हो रही,
नहीं पता कौन अपने कौन बेगाने हैं.
हँसतें चेहरे जो सब एक से लगें,
आज के जाने कल के अनजाने हैं.
Tuesday, February 16, 2010
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