Tuesday, January 26, 2010

मुलाकातों मुलाकातों में हुजूर हमें जान जाईये



मुलाकातों मुलाकातों में हुजूर हमें जान जाईये,
दिल की सुनो अब दिल का कहा मान जाईये.

ये जीस्त बड़ी कीमती इसका हर पल कीमती,
अपने ख्वाबों की तस्वीर अब पहचान जाईये.

आते हैं लोग, और यहाँ से फिर जाते हैं लोग,
बता दें क्या है नाम यूँ ना बन अनजान जाईये.

बेरंग से हैं हम बेखुदी में अब आता नहीं मजा,
खिले चेहरा जिससे थमा वो गुलिस्तान जाईये.

नशा नहीं होता हमें, जो अब पीते हैं शराब तो,
हो जायें मदहोश नज़रों से जता पैमान जाईये.

तन्हाई में गुज़र रहा सफ़र नज़ारे भी हैं सुनसान,
रूह को जो दे सकूँ कुछ ऐसा कर अहसान जाईये.

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