दिल में रहता हूँ गुलाब देखना,
वफ़ा का चेहरा ख्वाब देखना.
फुरसत हो मेरा हाल सोचना,
दिल की खुली किताब देखना.
गुनगुना लेना इक अफसाना,
बंदिशों को थोड़ा बाद देखना.
रात चलती हवा से पूछना,
देगी जवाब दिया जवाब देखना.
दिवानगी का राज़ ढूँढना,
गौर से अपना सबाब देखना.
होगा किस रंग का फ़साना,
आने वाले वक्त का हिसाब देखना.
Friday, February 26, 2010
Tuesday, February 23, 2010
पलकें बंद करते हुये डरता हूँ
पलकें बंद करते हुये डरता हूँ,
हर पल उसका सजदा करता हूँ.
खो जाती है दुनिया की तस्वीर,
मैं फिर ख्वाबों से उभरता हूँ.
साँस लेने का भी इक कारण है,
लेता साँस उसकी बात करता हूँ.
तुम किस से डरते हो दोस्तों,
मैं बस उसकी जुदाई से डरता हूँ.
जानना चाहते हो तबीयत का हाल,
कभी जीता हूँ तो कभी मरता हूँ.
बड़ी अजीब सी सजा ये मोहब्बत,
जहाँ दूरी का दर्द वही से गुज़रता हूँ.
हर पल उसका सजदा करता हूँ.
खो जाती है दुनिया की तस्वीर,
मैं फिर ख्वाबों से उभरता हूँ.
साँस लेने का भी इक कारण है,
लेता साँस उसकी बात करता हूँ.
तुम किस से डरते हो दोस्तों,
मैं बस उसकी जुदाई से डरता हूँ.
जानना चाहते हो तबीयत का हाल,
कभी जीता हूँ तो कभी मरता हूँ.
बड़ी अजीब सी सजा ये मोहब्बत,
जहाँ दूरी का दर्द वही से गुज़रता हूँ.
Monday, February 22, 2010
रात भर हवा से पेड़ों के पत्ते लहराते रहे
रात भर हवा से पेड़ों के पत्ते लहराते रहे,
वो यादों में कभी आते रहे कभी जाते रहे.
बज रही थी मन के कोने में कहीं शहनाई,
खुद ही गाते रहे खुद को ही सुनाते रहे.
गुजरी है कल की रात आसमां निहारते,
तारे जगमगाते रहे रोशनी बिखराते रहे.
गुमसुम बैठा रहा सोता जगता रहा,
अधियारे के मंज़र मुझे आजमाते रहे.
बंद आँखों में देखा पहचाना सा चेहरा,
चेहरा वो तेरा देख मुझे शरमाते रहे.
जी किया भर लूँ तुझे आज बाँहों में,
मिलन को है वक्त खुद को समझाते रहे.
वो यादों में कभी आते रहे कभी जाते रहे.
बज रही थी मन के कोने में कहीं शहनाई,
खुद ही गाते रहे खुद को ही सुनाते रहे.
गुजरी है कल की रात आसमां निहारते,
तारे जगमगाते रहे रोशनी बिखराते रहे.
गुमसुम बैठा रहा सोता जगता रहा,
अधियारे के मंज़र मुझे आजमाते रहे.
बंद आँखों में देखा पहचाना सा चेहरा,
चेहरा वो तेरा देख मुझे शरमाते रहे.
जी किया भर लूँ तुझे आज बाँहों में,
मिलन को है वक्त खुद को समझाते रहे.
Sunday, February 21, 2010
आसमां का तारा सा नज़र में उतर गया वो
आसमां का तारा सा नज़र में उतर गया वो,
दिल की दी आवाज़ जो सुनी ठहर गया वो.
ख़ुशी हो चाहे गम नज़रें उसे ढूढती हरदम,
चिराग जला रात का जाने किधर गया वो.
रातों को सपनों में नीदें उड़ाने वाला,
छोड़ मुझे तनहा इस शाम लौट घर गया वो.
आया तो कल भी था रात ख्वाबों में,
पर नज़र न मिली सर झुकाये गुज़र गया वो.
कुछ मीठे से साज़ सुनाते रहा रात भर,
सहर आई तो छोड़ आज की सहर गया वो.
अब नहीं बहता दर्द का भयानक दरिया,
ईक ज़ख़्म था दिल में गहरा उसे भर गया वो.
दिल की दी आवाज़ जो सुनी ठहर गया वो.
ख़ुशी हो चाहे गम नज़रें उसे ढूढती हरदम,
चिराग जला रात का जाने किधर गया वो.
रातों को सपनों में नीदें उड़ाने वाला,
छोड़ मुझे तनहा इस शाम लौट घर गया वो.
आया तो कल भी था रात ख्वाबों में,
पर नज़र न मिली सर झुकाये गुज़र गया वो.
कुछ मीठे से साज़ सुनाते रहा रात भर,
सहर आई तो छोड़ आज की सहर गया वो.
अब नहीं बहता दर्द का भयानक दरिया,
ईक ज़ख़्म था दिल में गहरा उसे भर गया वो.
Saturday, February 20, 2010
रेशमी जुल्फें उलझाये हुये रखना
रेशमी जुल्फें उलझाये हुये रखना,
इंतजार में दिल बहलाये हुये रखना.
जब आऊंगा घर वापस शब में,
हर मसले को सुलझाये हुये रखना.
मिलने की गहरी प्यास होगी,
बाँहों को अपनी फैलाये हुये रखना.
बारिश में भिगूँगा संग तेरे,
घटाओं को थोड़ा ठहराये हुये रखना.
तेरी आवाज़ में सुनूंगा नगमा,
गीत लबों पे दोहराये हुये रखना.
हँसती हो तो अच्छी लगती हो,
हँसी से चेहरा चमकाये हुये रखना.
सुकूं होगा दहलीज़ पे निहार कर,
धीरे से कदम शरमाये हुये रखना.
इंतजार में दिल बहलाये हुये रखना.
जब आऊंगा घर वापस शब में,
हर मसले को सुलझाये हुये रखना.
मिलने की गहरी प्यास होगी,
बाँहों को अपनी फैलाये हुये रखना.
बारिश में भिगूँगा संग तेरे,
घटाओं को थोड़ा ठहराये हुये रखना.
तेरी आवाज़ में सुनूंगा नगमा,
गीत लबों पे दोहराये हुये रखना.
हँसती हो तो अच्छी लगती हो,
हँसी से चेहरा चमकाये हुये रखना.
सुकूं होगा दहलीज़ पे निहार कर,
धीरे से कदम शरमाये हुये रखना.
Tuesday, February 16, 2010
रोशनी में सजे सजे शहर के मैखाने हैं
रोशनी में सजे सजे शहर के मैखाने हैं,
तेरा नाम लेते लेते पी रहे दीवाने हैं.
साकी भी पूछता तेरे घर का रास्ता,
कैसे हसीं दिलकश तेरे अफसाने हैं.
जाम भी मचल गया तेरा चर्चा सुन,
तुझे ही पुकारते पागल देख पैमाने हैं.
डर है ना बहक जाएँ कहीं हम भी,
बहकने से रिश्ते कुछ जाने पहचाने हैं.
महफ़िल में दुवा सलाम है हो रही,
नहीं पता कौन अपने कौन बेगाने हैं.
हँसतें चेहरे जो सब एक से लगें,
आज के जाने कल के अनजाने हैं.
तेरा नाम लेते लेते पी रहे दीवाने हैं.
साकी भी पूछता तेरे घर का रास्ता,
कैसे हसीं दिलकश तेरे अफसाने हैं.
जाम भी मचल गया तेरा चर्चा सुन,
तुझे ही पुकारते पागल देख पैमाने हैं.
डर है ना बहक जाएँ कहीं हम भी,
बहकने से रिश्ते कुछ जाने पहचाने हैं.
महफ़िल में दुवा सलाम है हो रही,
नहीं पता कौन अपने कौन बेगाने हैं.
हँसतें चेहरे जो सब एक से लगें,
आज के जाने कल के अनजाने हैं.
Monday, February 15, 2010
तू रूठा ना कर बिन तेरे किसका गुज़ारा होगा
तू रूठा ना कर बिन तेरे किसका गुज़ारा होगा,
बहेंगें आसूं हर आसूं में नाम तुम्हारा होगा.
तेरे बगैर मेरी कश्ती की मंजिल बहुत दूर,
मेरी पहुँच से दूर इस सागर का किनारा होगा.
कभी अनजाने में हो जाती है कुछ गलतियां,
कर दो माफ़ तुमसा कौन अपना हमारा होगा.
जब तू ना हो पास मेरे तो दर्द उठता है,
रूह ने जाने कितनी दफा तुझे पुकारा होगा.
लगती है ठोकर कभी तो हंस देता हूँ मैं,
क्योंकि कोई हो ना हो पर तू मेरा सहारा होगा.
तेरा मेरा मिलना जब जब होता है हमदम,
लगे खुदा ने तुझे मेरे लिए जमीं पे उतारा होगा.
बहेंगें आसूं हर आसूं में नाम तुम्हारा होगा.
तेरे बगैर मेरी कश्ती की मंजिल बहुत दूर,
मेरी पहुँच से दूर इस सागर का किनारा होगा.
कभी अनजाने में हो जाती है कुछ गलतियां,
कर दो माफ़ तुमसा कौन अपना हमारा होगा.
जब तू ना हो पास मेरे तो दर्द उठता है,
रूह ने जाने कितनी दफा तुझे पुकारा होगा.
लगती है ठोकर कभी तो हंस देता हूँ मैं,
क्योंकि कोई हो ना हो पर तू मेरा सहारा होगा.
तेरा मेरा मिलना जब जब होता है हमदम,
लगे खुदा ने तुझे मेरे लिए जमीं पे उतारा होगा.
Sunday, February 14, 2010
मुलाकात फिर बात फिर गुलाब आया
मुलाकात फिर बात फिर गुलाब आया,
कैसी ये दास्ता घटी रूबरू माहताब आया.
महफ़िल की भीड़ से जो दूर गया,
उस भोली सी सूरत का ख्वाब आया.
उसका नशा खूब चढ़ा है आजकल,
क्योंकि बातों में समा वो शराब आया.
यूँ हुवा लेन देन दिल से दिल का,
बना बेगाना कर खुद को खराब आया.
आरजू को मिला रास्ता मंजिल का,
मैं हूँ तेरी जो यूँ उसका जवाब आया.
दीवानगी की ये जो अलख जगी,
क्या कहूँ कैसा तुझ पे शबाब आया.
कैसी ये दास्ता घटी रूबरू माहताब आया.
महफ़िल की भीड़ से जो दूर गया,
उस भोली सी सूरत का ख्वाब आया.
उसका नशा खूब चढ़ा है आजकल,
क्योंकि बातों में समा वो शराब आया.
यूँ हुवा लेन देन दिल से दिल का,
बना बेगाना कर खुद को खराब आया.
आरजू को मिला रास्ता मंजिल का,
मैं हूँ तेरी जो यूँ उसका जवाब आया.
दीवानगी की ये जो अलख जगी,
क्या कहूँ कैसा तुझ पे शबाब आया.
Saturday, February 13, 2010
गुलशन महक गया आदाब आया
गुलशन महक गया आदाब आया,
महफ़िल में फिर वो बेनकाब आया.
मुझसे लोगों ने पूछा नाम उसका,
लबों पे न मेरे कोई जवाब आया.
अरमा उतर आयेंगें कागज पे ,
साकी ले के प्याला शराब आया.
खैर जिंदगी की मैं मांग लूँ,
याद उसका जादुई शबाब आया.
कसक उठी दिल में चाहत की,
इक नाम सदा में जनाब आया.
मेरी आवारगी देख हँसा वो,
आशिक का मुझे ख़िताब आया.
महफ़िल में फिर वो बेनकाब आया.
मुझसे लोगों ने पूछा नाम उसका,
लबों पे न मेरे कोई जवाब आया.
अरमा उतर आयेंगें कागज पे ,
साकी ले के प्याला शराब आया.
खैर जिंदगी की मैं मांग लूँ,
याद उसका जादुई शबाब आया.
कसक उठी दिल में चाहत की,
इक नाम सदा में जनाब आया.
मेरी आवारगी देख हँसा वो,
आशिक का मुझे ख़िताब आया.
दिल से जो निकले नाम वो तुम्हारा होता है
दिल से जो निकले नाम वो तुम्हारा होता है,
सूरत जो देखूं तो बहकने का ईशारा होता है.
दिल की लगी को यूँ ही बुरा नहीं कहते लोग,
इस रस्ते पर चलने वाला ही आवारा होता है.
रात भी है चांदनी भी है पर मज़ा नहीं,
बिन महबूब के अब किसका गुज़ारा होता है.
चंद लम्हों का साथ फिर बोझिल तन्हाई,
तेरे आने से पहले का दर्द अब दूबारा होता है.
कभी दूरियां दरमियां तो कभी नजदीकियां,
इस आग में जलने वाला ही बेचारा होता है.
कौन समझे किसी की आपबीती जनाब,
ईश्क करो देखो कैसे दिल बंजारा होता है.
सूरत जो देखूं तो बहकने का ईशारा होता है.
दिल की लगी को यूँ ही बुरा नहीं कहते लोग,
इस रस्ते पर चलने वाला ही आवारा होता है.
रात भी है चांदनी भी है पर मज़ा नहीं,
बिन महबूब के अब किसका गुज़ारा होता है.
चंद लम्हों का साथ फिर बोझिल तन्हाई,
तेरे आने से पहले का दर्द अब दूबारा होता है.
कभी दूरियां दरमियां तो कभी नजदीकियां,
इस आग में जलने वाला ही बेचारा होता है.
कौन समझे किसी की आपबीती जनाब,
ईश्क करो देखो कैसे दिल बंजारा होता है.
Wednesday, February 10, 2010
दुवा से जो मिली दवा अब तो निखर जायेंगे
दुवा से जो मिली दवा अब तो निखर जायेंगे,
तेरी हर राह में फूलों से हम बिखर जायेंगे.
चल रहे हैं सुन-सुन आपकी मीठी सदायें,
बता तो मंज़िल ये कदम बढ़ते उधर जायेंगे.
सुकूं की तलाश में फिरते हैं रोज़ दर-बदर,
इसे पाने तेरी नज़रों से मिला नज़र जायेंगे.
हासिल हो गयी जैसे जमी पे जन्नत मुझे,
बता दे तेरे दामन के सिवा किधर जायेंगे.
आज का दिन जाने क्यों कल सा लगता है,
तेरी यादों में निकल शामो-सहर जायेंगे.
खुदा ना करें तू कभी जुदा हो जाये मुझसे,
तेरा नाम लेते-लेते दुनिया से गुज़र जायेंगे.
तेरी हर राह में फूलों से हम बिखर जायेंगे.
चल रहे हैं सुन-सुन आपकी मीठी सदायें,
बता तो मंज़िल ये कदम बढ़ते उधर जायेंगे.
सुकूं की तलाश में फिरते हैं रोज़ दर-बदर,
इसे पाने तेरी नज़रों से मिला नज़र जायेंगे.
हासिल हो गयी जैसे जमी पे जन्नत मुझे,
बता दे तेरे दामन के सिवा किधर जायेंगे.
आज का दिन जाने क्यों कल सा लगता है,
तेरी यादों में निकल शामो-सहर जायेंगे.
खुदा ना करें तू कभी जुदा हो जाये मुझसे,
तेरा नाम लेते-लेते दुनिया से गुज़र जायेंगे.
Saturday, February 6, 2010
कैसा ये जमघट यहाँ लगा है ज़माने का
कैसा ये जमघट यहाँ लगा है ज़माने का,
लगता है वक्त हो गया अब तेरे आने का.
मेरी नज़र से जब तेरी नज़रें मिलती है,
फिसलता है दिल देख अंदाज़ शरमाने का.
ए साकी ना पूछ चेहरे की हँसी का राज़,
मुझे नहीं है पता रंग उसके फ़साने का.
चुरा वो ले गयी नींदें मुझे हँसा हँसा कर,
पूछा तो बोली नाम फ़लाने का फ़लाने का.
हुआ आगाज तो अभी होगा अंजाम भी,
आज दौर है महफ़िल में रंग सजाने का.
वक्त आएगा तो दिखा भी देंगे यार तुझे,
ये ना पूछ क्या होगा अंदाज़ दिखाने का.
लगता है वक्त हो गया अब तेरे आने का.
मेरी नज़र से जब तेरी नज़रें मिलती है,
फिसलता है दिल देख अंदाज़ शरमाने का.
ए साकी ना पूछ चेहरे की हँसी का राज़,
मुझे नहीं है पता रंग उसके फ़साने का.
चुरा वो ले गयी नींदें मुझे हँसा हँसा कर,
पूछा तो बोली नाम फ़लाने का फ़लाने का.
हुआ आगाज तो अभी होगा अंजाम भी,
आज दौर है महफ़िल में रंग सजाने का.
वक्त आएगा तो दिखा भी देंगे यार तुझे,
ये ना पूछ क्या होगा अंदाज़ दिखाने का.
Tuesday, February 2, 2010
चाँद को देख ना सोच ऐसा भी यार होगा
चाँद को देख ना सोच ऐसा भी यार होगा,
दिलों में दिलदार कोई तेरा दिलदार होगा.
जो होगा वो आईने के माफिक ही होगा,
जब टूटेगा धुयें का गुबार ही गुबार होगा.
जहाँ मिलेगी जिंदगानी को कुछ राहत,
बेनसीब वो तेरे सपनों का गुलज़ार होगा.
बिक गये हैं बिक भी रहें हैं वफ़ा के फूल,
कल तेरी शोहरत का लूटा बाज़ार होगा.
क्या मिलेगा तुझे अदावत ही तो मिलेगी,
बर्बाद होगा वो तेरे ईश्क का इज़हार होगा.
नहीं देखा तो देख लें खून का लाल रंग,
जिगर में तेरे उसका ही नाम दीदार होगा.
दिलों में दिलदार कोई तेरा दिलदार होगा.
जो होगा वो आईने के माफिक ही होगा,
जब टूटेगा धुयें का गुबार ही गुबार होगा.
जहाँ मिलेगी जिंदगानी को कुछ राहत,
बेनसीब वो तेरे सपनों का गुलज़ार होगा.
बिक गये हैं बिक भी रहें हैं वफ़ा के फूल,
कल तेरी शोहरत का लूटा बाज़ार होगा.
क्या मिलेगा तुझे अदावत ही तो मिलेगी,
बर्बाद होगा वो तेरे ईश्क का इज़हार होगा.
नहीं देखा तो देख लें खून का लाल रंग,
जिगर में तेरे उसका ही नाम दीदार होगा.
Monday, February 1, 2010
अश्क-ए-निहान तू मुझे सताता बहुत है
अश्क-ए-निहान तू मुझे सताता बहुत है,
मुस्कराता है जब-जब जलाता बहुत है.
सितम तेरे है या कह दूँ वहशत है मेरी,
मुझको गाफिल हो तू पिलाता बहुत है.
गर्दिश-ए-दौर वो बीत चूका है कब के,
क्यों रातों को नींद से उठाता बहुत है.
इक-इक पल यूँ दुश्वार है रुखसत में तेरी,
फिर भी ये दिल ज़माने से छुपाता बहुत है.
इशरत की आरजू फ़ना ना हो जायें मेरी,
दिल मेरा सपनों के महल बनाता बहुत है.
जुदा होयें तुझसे आज अरसा है गुज़र गया,
जालिम जब याद आयें तो रुलाता बहुत है.
मुस्कराता है जब-जब जलाता बहुत है.
सितम तेरे है या कह दूँ वहशत है मेरी,
मुझको गाफिल हो तू पिलाता बहुत है.
गर्दिश-ए-दौर वो बीत चूका है कब के,
क्यों रातों को नींद से उठाता बहुत है.
इक-इक पल यूँ दुश्वार है रुखसत में तेरी,
फिर भी ये दिल ज़माने से छुपाता बहुत है.
इशरत की आरजू फ़ना ना हो जायें मेरी,
दिल मेरा सपनों के महल बनाता बहुत है.
जुदा होयें तुझसे आज अरसा है गुज़र गया,
जालिम जब याद आयें तो रुलाता बहुत है.
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