चाँद को देख ना सोच ऐसा भी यार होगा,
दिलों में दिलदार कोई तेरा दिलदार होगा.
जो होगा वो आईने के माफिक ही होगा,
जब टूटेगा धुयें का गुबार ही गुबार होगा.
जहाँ मिलेगी जिंदगानी को कुछ राहत,
बेनसीब वो तेरे सपनों का गुलज़ार होगा.
बिक गये हैं बिक भी रहें हैं वफ़ा के फूल,
कल तेरी शोहरत का लूटा बाज़ार होगा.
क्या मिलेगा तुझे अदावत ही तो मिलेगी,
बर्बाद होगा वो तेरे ईश्क का इज़हार होगा.
नहीं देखा तो देख लें खून का लाल रंग,
जिगर में तेरे उसका ही नाम दीदार होगा.
Tuesday, February 2, 2010
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