आसमां का तारा सा नज़र में उतर गया वो,
दिल की दी आवाज़ जो सुनी ठहर गया वो.
ख़ुशी हो चाहे गम नज़रें उसे ढूढती हरदम,
चिराग जला रात का जाने किधर गया वो.
रातों को सपनों में नीदें उड़ाने वाला,
छोड़ मुझे तनहा इस शाम लौट घर गया वो.
आया तो कल भी था रात ख्वाबों में,
पर नज़र न मिली सर झुकाये गुज़र गया वो.
कुछ मीठे से साज़ सुनाते रहा रात भर,
सहर आई तो छोड़ आज की सहर गया वो.
अब नहीं बहता दर्द का भयानक दरिया,
ईक ज़ख़्म था दिल में गहरा उसे भर गया वो.
Sunday, February 21, 2010
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aaya to kal bhi tha raat khwabon mein
ReplyDeletepar nazar na mili sir jhukaye guzar gya wo
waah!! bahut khoob lucky