वो पागल है कहती है दुआ से किस्मत सवर जाती है,
मैंने पूछा तेरी दुआ की वो सदा जाने किधर जाती है.
नहीं पता कहा असलियत के कदम रखते हैं कदम,
दिल और दिल के बीच की हर माला बिखर जाती है.
सुना है वो खुशनुमा मिजाज़ की चादर ओढ़ती है,
सूरज की पहली किरण निकलते ही उधर जाती है.
उसके क़दमों के जादू का बखान करते हैं यहाँ सब,
बहार ही बहार हैं खिलती जहाँ से वो गुजर जाती है.
बदल देती है महफ़िलों का माहौल पल में कुछ यूँ,
आवाज़ की रूमानियत सुन उभर रोज़ सहर जाती है.
हम तो काफिरों में और टूटे दिलों में होते हैं शामिल,
दर पे आती हैं आवाजें, मेरे ना होने की खबर जाती है.
Friday, January 29, 2010
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