निकल रहा वक्त इससे पहले की मेरी मात हो जाये,
ना मिल पायें कभी क्या पता ऐसे हालत हो जायें.
आओ हटा दो ज़रा इस हया के पर्दे को आज तुम,
ए खुदा कर मेहरबानी उनसे एक मुलाकात हो जाये.
कुछ अनकहे अरमा हैं, कुछ अनसुनी ज़मा बातें हैं,
बीत जायें कब लम्हें उन से कुछ सवालात हो जायें.
प्यासी है ये रूह नज़रे भी उनके दीदार को प्यासी हैं,
काश वो मिलें और चाहत की हसी बरसात हो जाये.
बहुत कुछ कहना है और बहुत कुछ सुनना चाहता हूँ,
मिट जाये दूरियाँ क्यों ना किसी रोज़ बात हो जाये.
सूरज उगा अभी और कब जाने ये ढ़लने लगा है,
आजा तू इस से पहले की जिंदगी की रात हो जाये.
Wednesday, December 30, 2009
Tuesday, December 29, 2009
ना मैं मरा ना मैं जीया बता दे मुझे कैसा तू कातिल है
ना मैं मरा ना मैं जीया बता दे मुझे कैसा तू कातिल है,
तुझ को ही ढूढ़े अब यहाँ-वहाँ मेरा ये पागल दिल है.
गुलशन भी खिल गया, बहारों ने भी आज दस्तक दी,
तू मिल जाये तो चैन आ जाये जाने ये कैसी मुश्किल है.
अर्श में रहा कभी मैं फर्श में रहा पर हमेशा चलता रहा,
नज़रों ने ढूढ़ लिया दिल ने कह दिया तू ही मेरी मंजिल हैं.
खूश्बुवों से महकता जहां सितारों को आज जमीं पे देखा,
कभी उदास थी जो आज सुरों से सजती वो महफ़िल है.
कभी आंधिया आयी कभी बहारों का समां देखा है मैंने,
थी नज़रें जिसे खोज रही शायद पास आज वो साहिल है.
दुनिया कभी रुकती नहीं कहा किसी के लिए है ठहरती,
मेरी जुस्तजू मेरी आरजू जैसे लगे मुझे आज हासिल है.
लोग जाये यहाँ-वहाँ, मंदिर मस्जिद में अपनी दुआ करें,
तुझे देखा तो लगा तू ही एक सच्ची इबादत के काबिल है.
तुझ को ही ढूढ़े अब यहाँ-वहाँ मेरा ये पागल दिल है.
गुलशन भी खिल गया, बहारों ने भी आज दस्तक दी,
तू मिल जाये तो चैन आ जाये जाने ये कैसी मुश्किल है.
अर्श में रहा कभी मैं फर्श में रहा पर हमेशा चलता रहा,
नज़रों ने ढूढ़ लिया दिल ने कह दिया तू ही मेरी मंजिल हैं.
खूश्बुवों से महकता जहां सितारों को आज जमीं पे देखा,
कभी उदास थी जो आज सुरों से सजती वो महफ़िल है.
कभी आंधिया आयी कभी बहारों का समां देखा है मैंने,
थी नज़रें जिसे खोज रही शायद पास आज वो साहिल है.
दुनिया कभी रुकती नहीं कहा किसी के लिए है ठहरती,
मेरी जुस्तजू मेरी आरजू जैसे लगे मुझे आज हासिल है.
लोग जाये यहाँ-वहाँ, मंदिर मस्जिद में अपनी दुआ करें,
तुझे देखा तो लगा तू ही एक सच्ची इबादत के काबिल है.
Monday, December 28, 2009
वो तम्मना जो आज जैसे मर गयी
वो तम्मना जो आज जैसे मर गयी,
आरजू वो जूनून की जाने किधर गयी.
ना तूफां ना कुदरत का कहर बरपा,
जाने क्यों हस्ती मेरी यूँ बिखर गयी.
कारवां बढ़ा था उस मंजिल की ओर,
आधे रस्ते में महफ़िल मेरी ठहर गयी.
जहाँ देखा वहां मतलब वाले मिले मुझे,
सबने मुहं फेरा जिधर मेरी नज़र गयी.
मैं तो यूँ जला की राख भी ना मिली,
बेवफा वादे से जाने क्यों मुकर गयी.
गम नहीं मुझे जो मैं यूँ बर्बाद हुआ,
रुके नहीं आंसू आँखों में वो भर गयी.
रातें आयी रातें गयी वक्त वो बीत गया,
राह रो-रो के आखिर वो गुज़र गयी.
मेरे मालिक तू सच्चा रहबर रहा मेरा,
तू ही सदा बना फिर सूरत ये सवर गयी.
Monday, December 21, 2009
मैं आज फिर भूल गया अपने गम जो पिली ये बुरी शराब है
मैं आज फिर भूल गया अपने गम जो पिली ये बुरी शराब है,
फिर हूँ नशे में दुनिया वालों मेरा आज फिर तुमको आदाब है.
माफ़ करना कभी-कभी हूँ थोड़ा नादाँ थोड़ा-थोड़ा सा परेशा,
नहीं भूला बिछड़े यार तुझे, तेरे लिए खून से सजा ये गुलाब है.
दिलबर का नाम-ओ-ज़िक्र जो आ ही गया आज मेरी बातों में,
तुझे शायद याद ना हो, तुझे चुकाना वो एक पुराना हिसाब है.
अभी तक जो जी रहे हो, बता दो मुझे ये कैसे हुआ है मुंकिन,
जिसे ढूढ़ रहा मैं यहाँ-वहाँ वो आपका ना दिया गया जवाब है.
यूँ तो मैं जिंदा हूँ, आँखों में आँसू दिल में दर्द हैं तो क्या हुआ,
पर हालत दिन हर दिन बेकार, हर पल यहाँ हो रहा खराब है.
रोता हूँ जब मैं, हर जुस्तजू इंसाफ मांगती है जाने क्यों मेरी,
तुने जो पूरी की नहीं, स्याही मांग रही वो अधूरी किताब है.
Sunday, December 20, 2009
अपना मज़ा था एक अजीब सा नशा था बिछड़ी मुलाकातों में
अपना मज़ा था एक अजीब सा नशा था बिछड़ी मुलाकातों में,
याद आता है मुझे कितना मज़ा था भीगने का उन बरसातों में.
तुम कहती थी लिखों मेरे लिए भी कुछ तुम हमदम आज ज़रा,
फिर था कैसे सोच में डूब जाता उन दिलकशी सुहानी रातों में.
याद आज भी है मुझे किस कदर था दीवाना बनाया आपने,
कैसा दौर था आता ज़िक्र तेरा ही मेरी कही अनकही बातों में.
क्यों तू चला गया यूँ मुझे तू तन्हा रोता हुआ क्यों छोड़ गया,
आज भी खुश्बू तेरी ही आती मेरे हर एक मर गए ज़ज्बातों में.
तेरा तस्सवुर कैसे मिटाऊ अपने दिल से ए मेरे बिछड़े हमदम,
तुझे ही दी थी इज़ाज़त आने की अपने हर एक ख्यालातों में.
मैं हार गया मुझे इतना हुनर नहीं दिया तुने ए मेरे मालिक,
हारने की दास्ता लिखी थी मेरी किस्मत के हर एक बिसातों में.
आज तुझे ही खोजती मेरी नज़र हर एक जर्रें में यहाँ दिलबर,
लोगों को नहीं पता ज़वाब तेरी सदा आये मेरे हर सवालातों में.
याद आता है मुझे कितना मज़ा था भीगने का उन बरसातों में.
तुम कहती थी लिखों मेरे लिए भी कुछ तुम हमदम आज ज़रा,
फिर था कैसे सोच में डूब जाता उन दिलकशी सुहानी रातों में.
याद आज भी है मुझे किस कदर था दीवाना बनाया आपने,
कैसा दौर था आता ज़िक्र तेरा ही मेरी कही अनकही बातों में.
क्यों तू चला गया यूँ मुझे तू तन्हा रोता हुआ क्यों छोड़ गया,
आज भी खुश्बू तेरी ही आती मेरे हर एक मर गए ज़ज्बातों में.
तेरा तस्सवुर कैसे मिटाऊ अपने दिल से ए मेरे बिछड़े हमदम,
तुझे ही दी थी इज़ाज़त आने की अपने हर एक ख्यालातों में.
मैं हार गया मुझे इतना हुनर नहीं दिया तुने ए मेरे मालिक,
हारने की दास्ता लिखी थी मेरी किस्मत के हर एक बिसातों में.
आज तुझे ही खोजती मेरी नज़र हर एक जर्रें में यहाँ दिलबर,
लोगों को नहीं पता ज़वाब तेरी सदा आये मेरे हर सवालातों में.
Saturday, December 19, 2009
आवाज़ ना दो मुझे दोस्तों आज पिली मैंने ईश्क की शराब है
आवाज़ ना दो मुझे दोस्तों आज पिली मैंने ईश्क की शराब है,
हो सके तो हर्फ़-ए-दुआ करो मेरे हाथों में ईजहार का गुलाब है.
नज़ारे बहुत हैं यहाँ पर मेरी आँखों में उसी का ही हसी चेहरा,
दिलकशी मुलाकाते लिखी जिसमें आज हाथों में वो किताब है.
दुनिया कभी रंगीन है, कभी-कभी दुनिया लगती गमगीन है,
हर मंज़र में उसका चेहरा जाने सच है या मेरा ये एक ख्वाब है.
कदम बढ़ रहे ज़रा मेरी मंजिल का ठिकाना बता दे कोई मुझे,
सोचू कुछ बोलूँ कुछ और, कैसा छाया मुझ पर जाने सबाब है.
जब से मैंने छू ली उसकी सूरत, दीवानगी जैसे मेरी नफस बनी,
हो गया रोशन, फीका जो पड़ गया वो तू आसमा के आफताब है.
ए शब तू जल्दी आया कर तेरा ही है मुझे बेसब्री से इंतजार,
जलवा देखता हूँ जिसका अब मेरे पास दिलकशी वो माहताब है.
हो सके तो हर्फ़-ए-दुआ करो मेरे हाथों में ईजहार का गुलाब है.
नज़ारे बहुत हैं यहाँ पर मेरी आँखों में उसी का ही हसी चेहरा,
दिलकशी मुलाकाते लिखी जिसमें आज हाथों में वो किताब है.
दुनिया कभी रंगीन है, कभी-कभी दुनिया लगती गमगीन है,
हर मंज़र में उसका चेहरा जाने सच है या मेरा ये एक ख्वाब है.
कदम बढ़ रहे ज़रा मेरी मंजिल का ठिकाना बता दे कोई मुझे,
सोचू कुछ बोलूँ कुछ और, कैसा छाया मुझ पर जाने सबाब है.
जब से मैंने छू ली उसकी सूरत, दीवानगी जैसे मेरी नफस बनी,
हो गया रोशन, फीका जो पड़ गया वो तू आसमा के आफताब है.
ए शब तू जल्दी आया कर तेरा ही है मुझे बेसब्री से इंतजार,
जलवा देखता हूँ जिसका अब मेरे पास दिलकशी वो माहताब है.
Friday, December 18, 2009
दुनिया वालो ईश्क ना करो धोखे का ये एक ज़माल है
दुनिया वालो ईश्क ना करो धोखे का ये एक ज़माल है,
टूटना इसकी फितरत रही ये एक जाम-ए-सिफाल है.
खुदा जाने मैं क्या बताऊँ क्यों मिलते नाकामी के सिले,
किसी को नहीं पता जवाब कुछ ऐसा ये एक सवाल है.
हम जूझ चुके हैं, हम भी टूट चुके हैं इसके तूफान में,
तुम कहोगे फिर कैसे हँस रहे हों जैसे ये एक कमाल है.
किसी के अंदर जो झांक ले वो निगाहें बनी नहीं दोस्त,
धीरे-धीरे बढ़ रहा हूँ मौत की ओर ऐसे ही मेरे हाल हैं.
वक्त क्या होता है,घड़ी की सुइयों का कोई मतलब नहीं,
सनम बिछड़ा जब से एक से दिन एक से मेरे साल हैं.
जज्बातों को मारना मुश्किल ये कम्बख्त मरते नहीं,
हर लम्हें में दर्द की नयी कहानी ऐसे ही मेरे ख्याल हैं.
टूटना इसकी फितरत रही ये एक जाम-ए-सिफाल है.
खुदा जाने मैं क्या बताऊँ क्यों मिलते नाकामी के सिले,
किसी को नहीं पता जवाब कुछ ऐसा ये एक सवाल है.
हम जूझ चुके हैं, हम भी टूट चुके हैं इसके तूफान में,
तुम कहोगे फिर कैसे हँस रहे हों जैसे ये एक कमाल है.
किसी के अंदर जो झांक ले वो निगाहें बनी नहीं दोस्त,
धीरे-धीरे बढ़ रहा हूँ मौत की ओर ऐसे ही मेरे हाल हैं.
वक्त क्या होता है,घड़ी की सुइयों का कोई मतलब नहीं,
सनम बिछड़ा जब से एक से दिन एक से मेरे साल हैं.
जज्बातों को मारना मुश्किल ये कम्बख्त मरते नहीं,
हर लम्हें में दर्द की नयी कहानी ऐसे ही मेरे ख्याल हैं.
फिर से उस सपनों की दुनिया में तू आज खोलें
फिर से उस सपनों की दुनिया में तू आज खोलें,
ना सोच तेरे अपनों के सितम वो क्या तुझे बोले.
जब कोई ना मिले तेरे दिल को बहलाने वाला यहाँ,
अपनी पनाह में जा और तू आज फिर थोड़ा रोले.
किस्मत नहीं तेरी तू पाए अपनी हर जुस्तजू को,
दर्द को गले लगा क्यों ना आज उसी का तू होले.
दुनिया मतलबी सब बेरहम दिल वाले हैं यहाँ,
तुझे रखकर सब अपने मतलब के तराजू में तोलें.
तुझे नहीं पता बहुत दिनों से बैचेन है तू दोस्त,
आज सब कुछ भूल चैन की नींद तू ज़रा सा सोलें.
मैं नहीं तेरे अपनों में पर मेरा भी नहीं कोई अपना,
जो दिल बोला मेरा वहीँ लब्ज़ मैनें तूझे आज बोलें.
ना सोच तेरे अपनों के सितम वो क्या तुझे बोले.
जब कोई ना मिले तेरे दिल को बहलाने वाला यहाँ,
अपनी पनाह में जा और तू आज फिर थोड़ा रोले.
किस्मत नहीं तेरी तू पाए अपनी हर जुस्तजू को,
दर्द को गले लगा क्यों ना आज उसी का तू होले.
दुनिया मतलबी सब बेरहम दिल वाले हैं यहाँ,
तुझे रखकर सब अपने मतलब के तराजू में तोलें.
तुझे नहीं पता बहुत दिनों से बैचेन है तू दोस्त,
आज सब कुछ भूल चैन की नींद तू ज़रा सा सोलें.
मैं नहीं तेरे अपनों में पर मेरा भी नहीं कोई अपना,
जो दिल बोला मेरा वहीँ लब्ज़ मैनें तूझे आज बोलें.
Wednesday, December 16, 2009
ए मेरे सनम जाने क्यों नहीं अभी तुझे ये खबर है
ए मेरे सनम जाने क्यों नहीं अभी तुझे ये खबर है,
तुझे ही ढूढ़ रही हर चेहरे में अब मेरी ये नज़र है.
फासले बस ठिकानों के यहाँ, दिलों के फासले नहीं,
हाथ थामे चल रहा जो साया, वो तू मेरे रहबर है.
तू बेखबर क्या जाने दिल की तम्मना क्या है मेरी,
यहाँ नाम लिखा तेरा ही जितने भी दिवार-ओ-दर हैं.
तेरे लिए बेआबरू हो जाऊ दुनिया की इस महफ़िल में,
चाहू तेरा ही साथ जितने भी किस्मत में मेरे सफ़र हैं.
फूलों सी तुम कोमल, जलते दिये सी तुम उज्जवल,
गमों के बादल छट गये जाने दर्दों के प्याले किधर हैं.
सदा नहीं तेरी अदाओं की बयानगी के लिए मेरे पास,
जो कभी देखे नहीं कहीं कुछ ऐसे तेरे अर्ज़-ए-हुनर हैं.
तुझे ही ढूढ़ रही हर चेहरे में अब मेरी ये नज़र है.
फासले बस ठिकानों के यहाँ, दिलों के फासले नहीं,
हाथ थामे चल रहा जो साया, वो तू मेरे रहबर है.
तू बेखबर क्या जाने दिल की तम्मना क्या है मेरी,
यहाँ नाम लिखा तेरा ही जितने भी दिवार-ओ-दर हैं.
तेरे लिए बेआबरू हो जाऊ दुनिया की इस महफ़िल में,
चाहू तेरा ही साथ जितने भी किस्मत में मेरे सफ़र हैं.
फूलों सी तुम कोमल, जलते दिये सी तुम उज्जवल,
गमों के बादल छट गये जाने दर्दों के प्याले किधर हैं.
सदा नहीं तेरी अदाओं की बयानगी के लिए मेरे पास,
जो कभी देखे नहीं कहीं कुछ ऐसे तेरे अर्ज़-ए-हुनर हैं.
Tuesday, December 15, 2009
वो हर लम्हें में मेरे करीब और करीब आते जायें तो मै क्या करूँ
वो हर लम्हें में मेरे करीब और करीब आते जायें तो मै क्या करूँ,
मेरा दिल उसी के साथ हर पल सुकून पाते जायें तो मैं क्या करूँ.
वो ओढ़े सादगी की चादर मेरे नज़रों को तड़पाती है हर रोज़,
भोली सूरत,मेरे सामने आकर वो शरमाते जायें तो मैं क्या करूँ.
बदल गया हूँ मैं मुझे नहीं पता कौन सा जादू आता है उसको,
खुशियों के हीरे मेरे लिए ढूढ़-ढूढ़ कर लाते जायें तो मैं क्या करूँ.
सच्चाई का आईना उसकी सूरत,हँसी सच्चाई की है एक मूरत,
मुझे सता कर वो शरारत में मुस्कराते जायें तो मैं क्या करूँ.
मिठास से भरी सदा उसकी,दिल सागर सा है गहरा उसका,
हर गलती पर नादानों के जैसे समझाते जायें तो मैं क्या करूँ.
ईश्क से अनजान नहीं,इसके दर्द और सुकून से इत्तेफाक मुझे,
बिना कुछ कहे ईश्क की आग में जलाते जाये तो मैं क्या करूँ.
मेरा दिल उसी के साथ हर पल सुकून पाते जायें तो मैं क्या करूँ.
वो ओढ़े सादगी की चादर मेरे नज़रों को तड़पाती है हर रोज़,
भोली सूरत,मेरे सामने आकर वो शरमाते जायें तो मैं क्या करूँ.
बदल गया हूँ मैं मुझे नहीं पता कौन सा जादू आता है उसको,
खुशियों के हीरे मेरे लिए ढूढ़-ढूढ़ कर लाते जायें तो मैं क्या करूँ.
सच्चाई का आईना उसकी सूरत,हँसी सच्चाई की है एक मूरत,
मुझे सता कर वो शरारत में मुस्कराते जायें तो मैं क्या करूँ.
मिठास से भरी सदा उसकी,दिल सागर सा है गहरा उसका,
हर गलती पर नादानों के जैसे समझाते जायें तो मैं क्या करूँ.
ईश्क से अनजान नहीं,इसके दर्द और सुकून से इत्तेफाक मुझे,
बिना कुछ कहे ईश्क की आग में जलाते जाये तो मैं क्या करूँ.
Monday, December 14, 2009
अपने सिने में मेरी सूरत छुपा, वो मुझे आजमाने आये हैं
अपने सिने में मेरी सूरत छुपा, वो मुझे आजमाने आये हैं,
अपनी सूरत का दीदार करा, आज वो मुझे तरसाने आये हैं.
छुपाते हैं वो जाने क्यों, अपनी दिल की बात को मुझसे,
आज फिर मेरे चैन-ओ-सुकून को वो मुझसे चुराने आये हैं.
हम हाल-ए-दिल का बयान करते अपनी हर बात में उनसे,
क्या पता जो कभी कहा नहीं, आज वो उसे सुनाने आये हैं.
अदाओं में उनके पूरे कायनात की मासूमियत समायी जैसे,
क्या पता उनको है मोहब्बत मुझसे, आज ये जताने आये हैं.
मेरे दिल में जो आग उन्होंने अपनी नजरों से है लगायी,
शायद उसे आज इजहारे-ए-ईश्क से वो बुझाने आये हैं.
ईकठ्ठा कर रहा हूँ मैं चुन-चुन कर हसरतों के फूलो को,
क्या पता मेरे सपनों के जहान को आज वो बसाने आये हैं.
हर साख का रंग फीका हो गया उनकी सूरत के सामने,
आज शायद बरसों से दिल में ज़मा प्यार वो लुटाने आये हैं.
अपनी सूरत का दीदार करा, आज वो मुझे तरसाने आये हैं.
छुपाते हैं वो जाने क्यों, अपनी दिल की बात को मुझसे,
आज फिर मेरे चैन-ओ-सुकून को वो मुझसे चुराने आये हैं.
हम हाल-ए-दिल का बयान करते अपनी हर बात में उनसे,
क्या पता जो कभी कहा नहीं, आज वो उसे सुनाने आये हैं.
अदाओं में उनके पूरे कायनात की मासूमियत समायी जैसे,
क्या पता उनको है मोहब्बत मुझसे, आज ये जताने आये हैं.
मेरे दिल में जो आग उन्होंने अपनी नजरों से है लगायी,
शायद उसे आज इजहारे-ए-ईश्क से वो बुझाने आये हैं.
ईकठ्ठा कर रहा हूँ मैं चुन-चुन कर हसरतों के फूलो को,
क्या पता मेरे सपनों के जहान को आज वो बसाने आये हैं.
हर साख का रंग फीका हो गया उनकी सूरत के सामने,
आज शायद बरसों से दिल में ज़मा प्यार वो लुटाने आये हैं.
कभी अकेले भी चलना पड़ा, जब कोई रहबर ना मिला
कभी अकेले भी चलना पड़ा, जब कोई रहबर ना मिला,
लंबा सफ़र तन्हा बिता, जब कोई रहगुज़र ना मिला.
मुश्किल हालातों के दौर खुदा किसी को ना दे यहाँ,
रातें रोती हुयी कटी मेरी, मुझे जब कोई घर ना मिला.
पलकों के झपकते ही नजरों से मेरे दूर था हो गया,
लाख तलाशा, तड़पा कर जाने वाला बेदादगर ना मिला.
शीशे की फितरत है, टूट कर कभी दोबारा जुड़ता नहीं,
मुझे जलाकर चल दिया, वापस वो खोया हुनर ना मिला.
हर किसी की नज़रे यहाँ जुदा-जुदा, सब में वो जादू नहीं,
उसकी आँखों की वो कशिश, मुझे कहीं वो असर ना मिला.
समझ लो बिछड़ गए जैसे जिस्म और रूह एक दूसरे से,
जब से बिछड़ा मुझसे, फिर कहीं महबूब-ए-नज़र ना मिला.
लंबा सफ़र तन्हा बिता, जब कोई रहगुज़र ना मिला.
मुश्किल हालातों के दौर खुदा किसी को ना दे यहाँ,
रातें रोती हुयी कटी मेरी, मुझे जब कोई घर ना मिला.
पलकों के झपकते ही नजरों से मेरे दूर था हो गया,
लाख तलाशा, तड़पा कर जाने वाला बेदादगर ना मिला.
शीशे की फितरत है, टूट कर कभी दोबारा जुड़ता नहीं,
मुझे जलाकर चल दिया, वापस वो खोया हुनर ना मिला.
हर किसी की नज़रे यहाँ जुदा-जुदा, सब में वो जादू नहीं,
उसकी आँखों की वो कशिश, मुझे कहीं वो असर ना मिला.
समझ लो बिछड़ गए जैसे जिस्म और रूह एक दूसरे से,
जब से बिछड़ा मुझसे, फिर कहीं महबूब-ए-नज़र ना मिला.
कैसे बयां करू कैसे दिलकश उसके अंदाज़-ए-बयान हैं
कैसे बयां करू कैसे दिलकश उसके अंदाज़-ए-बयान हैं,
शहद की बारिश हो जिससे, कुछ ऐसी उसकी जुबान है.
लाचार हो गया जैसे, फिरता आवारा उसकी आरजू में,
मेरे हर कदम के मंजिल की अब उसके पास कमान है.
इत्तेफाक रखती है मेरी हर बात से, होती मुझ से रूबरू,
फर्क कहने में वो ही एक बचा मेरा, यही मेरा गुमान है.
वो है जन्नत है, उसकी ही खुश्बू मेरी हर अदा से आती,
मेरे हर कदम देखो, उसके ही बतायें छोड़े हुये निशान हैं.
मेरी हर नुमाइंदगी में वो, मेरी हर नफस का संगीत है वो,
जबां से मैं करता हूँ बयां चाहे चेहरे से मेरे सब निहान है.
ए मेरे मालिक तुझे है सब पता, तू ही तो सच्चा दोस्त मेरा,
मेरा सच्चा हमदम, वो मेरी जुस्तजू का दिल-ओ-जान है.
Sunday, December 13, 2009
वो तो चल दिया छोड़ मुझे, पर सोज़ का जाम दे दिया
वो तो चल दिया छोड़ मुझे, पर सोज़ का जाम दे दिया,
राह के फूलों को सूखाकर, बेरंग सा उन्हें फाम दे दिया.
जाने वाला चला गया, केवल यादों के किस्से थमा गया,
उन्हीं को बयां करता हूँ, खुद को शायर का नाम दे दिया.
ना वो बेवफा थी कभी, ना ही हमने बेवफाई की कभी,
जो मेरी किस्मत में था, मुझे खुदा ने वो ही दाम दे दिया.
ये जो लंबे-लंबे रास्ते, कभी खत्म नहीं होते इस शहर के,
इन्हीं पर घूम-घूम रोज़ अपनी रूह को मैंने आराम दे दिया.
जिंदगी गर रही सलामत तो उनकी यादों के बखान होंगे,
वो मर कर भी कभी ना मरे, उसने कैसा मुझे काम दे दिया.
राह के फूलों को सूखाकर, बेरंग सा उन्हें फाम दे दिया.
जाने वाला चला गया, केवल यादों के किस्से थमा गया,
उन्हीं को बयां करता हूँ, खुद को शायर का नाम दे दिया.
ना वो बेवफा थी कभी, ना ही हमने बेवफाई की कभी,
जो मेरी किस्मत में था, मुझे खुदा ने वो ही दाम दे दिया.
ये जो लंबे-लंबे रास्ते, कभी खत्म नहीं होते इस शहर के,
इन्हीं पर घूम-घूम रोज़ अपनी रूह को मैंने आराम दे दिया.
जिंदगी गर रही सलामत तो उनकी यादों के बखान होंगे,
वो मर कर भी कभी ना मरे, उसने कैसा मुझे काम दे दिया.
जो चल दिया महफ़िल छोड़, उसे कहा किसी ने याद किया है
जो चल दिया महफ़िल छोड़, उसे कहा किसी ने याद किया है,
आज फिर याद आया वो भूला चेहरा, चर्चा अरसे बाद किया है.
देखो तुम भी कभी काँटो के रास्ते पर चलकर मेरे दोस्तों,
तो पता लगेगा मेरा दर्द, जो मैंने तुम्हें आज रुदाद किया है.
नहीं देखता यहाँ कोई हारे हुये मांझियों के सफ़र के निशां,
हारकर मिले दर्द की दवा को, कहा आज तक ईजाद किया है.
आँसू पानी ही तो हैं, पर क्यों पानी कभी आँसू नहीं बनता,
सबने देखा खून मेरा, कहा किसी ने दुआ-ए-फरियाद किया है.
पत्थर दिल था वो, हमने भी खुद को पत्थर दिल बना लिया,
कैसे कहूँ किस तरह मैनें ख्वाहिशों के मकां को बर्बाद किया है.
आज फिर याद आया वो भूला चेहरा, चर्चा अरसे बाद किया है.
देखो तुम भी कभी काँटो के रास्ते पर चलकर मेरे दोस्तों,
तो पता लगेगा मेरा दर्द, जो मैंने तुम्हें आज रुदाद किया है.
नहीं देखता यहाँ कोई हारे हुये मांझियों के सफ़र के निशां,
हारकर मिले दर्द की दवा को, कहा आज तक ईजाद किया है.
आँसू पानी ही तो हैं, पर क्यों पानी कभी आँसू नहीं बनता,
सबने देखा खून मेरा, कहा किसी ने दुआ-ए-फरियाद किया है.
पत्थर दिल था वो, हमने भी खुद को पत्थर दिल बना लिया,
कैसे कहूँ किस तरह मैनें ख्वाहिशों के मकां को बर्बाद किया है.
ख्वाहिशों के मंजिल का सफ़र, किसी से गुफ्तार हुयी है
ख्वाहिशों के मंजिल का सफ़र, किसी से गुफ्तार हुयी है,
पतझड़ का मौसम बिता, जिंदगी फिर गुलज़ार हुयी है.
कभी-कभी मिल जाते हैं राह में कुछ अनजान मुसाफिर,
जैसे दीवानगी में फ़ना होने की तम्मना इख़्तियार हुयी है.
हमने तो कुछ भी ना पाया, पर लुटा दिया अपना सब कुछ,
कीमती हँसी को सब में बाँटा, ये जैसे मुफ्त बाज़ार हुयी है.
मेरी सांसे कभी तो थमेंगी इस गुज़रते दौर के दरमियान,
अब मेरी आरजू की मंजिल उसके लिए जानिसार हुयी है.
मैंने लाख रोका, मैंने खुद को जाने कितनी बार है टोका,
पर मेरी रूह उसकी ही सरफिरस्ती में गिरिफ्तार हुयी है.
शायद मेरे हाथ की लकीरों में लिख दिया मेरे मालिक ने,
जिस्म के खून की हर एक बूंद जो उसकी दिलदार हुयी है.
Friday, December 11, 2009
मैं क्या बोल़ू मेरी आँखों में देखो उसका ही इक नाम है
मैं क्या बोल़ू मेरी आँखों में देखो उसका ही इक नाम है,
जो मुझ से कोशों दूर, वो ही मेरी आरजू का मुकाम है.
मै क्या बयां करू महफ़िल में, अंजानो की ये महफ़िल है,
जो जुर्म कभी किया नहीं उसका भी मुझ पर ईल्ज़ाम है.
गुज़र गया वक्त छोड़ गया मेरे आशियाने में गहरी दरारे,
आज उसी दर्द को झेल रही जिंदगानी हर सूबे शाम है.
मैं इक आवारा सा मुसाफिर, नहीं जिसका कोई भरोसा,
अपने अंजुमन में खोना पसंद, बस यही तो मेरा काम है.
यहाँ दीवारों पे लिखी जाती हैं ईश्क के रहमत की बातें,
इसके सुकून के अहसासों को बताने वाले यहाँ तमाम हैं.
मैं भी कभी बहक जाता हूँ दो पल को उनकी बातों में,
पर नसीब में नहीं ये सब मुझे बस तन्हाई में आराम है.
जो मुझ से कोशों दूर, वो ही मेरी आरजू का मुकाम है.
मै क्या बयां करू महफ़िल में, अंजानो की ये महफ़िल है,
जो जुर्म कभी किया नहीं उसका भी मुझ पर ईल्ज़ाम है.
गुज़र गया वक्त छोड़ गया मेरे आशियाने में गहरी दरारे,
आज उसी दर्द को झेल रही जिंदगानी हर सूबे शाम है.
मैं इक आवारा सा मुसाफिर, नहीं जिसका कोई भरोसा,
अपने अंजुमन में खोना पसंद, बस यही तो मेरा काम है.
यहाँ दीवारों पे लिखी जाती हैं ईश्क के रहमत की बातें,
इसके सुकून के अहसासों को बताने वाले यहाँ तमाम हैं.
मैं भी कभी बहक जाता हूँ दो पल को उनकी बातों में,
पर नसीब में नहीं ये सब मुझे बस तन्हाई में आराम है.
Thursday, December 10, 2009
उसकी हसरतों में जो लिखी जा रही वो मेरी कहानी बन गयी
उसकी हसरतों में जो लिखी जा रही वो मेरी कहानी बन गयी,
उसके ही नाम की हर्फ़-ए-दुआ अब मेरी मुहजबानी बन गयी.
ना चाहिए दौलत ना ही आरजू मुझे ज्यादा शोहरत की अब,
उसकी तम्मना की हसरत वो ही मेरी अब सरगिरानी बन गयी.
कभी देखूं चाँद को तो वो भी अब मुझे दीवानों सा मदहोश लगे,
रग-रग में उसका नाम हर मुस्कान उसकी निशानी बन गयी.
नज़र जहाँ फेरु वहा मौज ही मौज का नज़ारा अब दिखे मुझे,
दिल में मीठा दर्द जगा रात उसके सपनों की रवानी बन गयी.
लोग हँसते है मेरे हाल पर ख्वाबों में ही खोया रहता हूँ उसके,
बदलाव आ गया हरकतों में फितरत जैसे मेरी मस्तानी बन गयी.
यहाँ बस जीना ही काफी नहीं जिंदगी का साथ भी तो चाहिए,
बरसी बारिश हैरत मुझे मुझ पे जो ईश्क की मेहरबानी बन गयी.
उसके ही नाम की हर्फ़-ए-दुआ अब मेरी मुहजबानी बन गयी.
ना चाहिए दौलत ना ही आरजू मुझे ज्यादा शोहरत की अब,
उसकी तम्मना की हसरत वो ही मेरी अब सरगिरानी बन गयी.
कभी देखूं चाँद को तो वो भी अब मुझे दीवानों सा मदहोश लगे,
रग-रग में उसका नाम हर मुस्कान उसकी निशानी बन गयी.
नज़र जहाँ फेरु वहा मौज ही मौज का नज़ारा अब दिखे मुझे,
दिल में मीठा दर्द जगा रात उसके सपनों की रवानी बन गयी.
लोग हँसते है मेरे हाल पर ख्वाबों में ही खोया रहता हूँ उसके,
बदलाव आ गया हरकतों में फितरत जैसे मेरी मस्तानी बन गयी.
यहाँ बस जीना ही काफी नहीं जिंदगी का साथ भी तो चाहिए,
बरसी बारिश हैरत मुझे मुझ पे जो ईश्क की मेहरबानी बन गयी.
हमारी मौज़ में कभी वो भी शामिल हो जायें
हमारी मौज़ में कभी वो भी शामिल हो जायें,
हाल-ए-दिल का मेरे वो जरा पैगाम सुन जायें.
दुनिया है बेरहम बहुत हैं सताने वाले यहाँ,
उम्मीद मेरे ईश्क की ना वो किसी से घबरायें.
मेरी आरजू की तस्वीर लिए आँखों में आये हैं,
ज़माने वाले देख रहे हैं आँखों में आँखों गड़ाएं.
ये ईश्क जरुरत-ए-जिंदगानी बन गया मेरी,
कभी चेहरे की हसी नजाकत मुझको दिखाएँ.
और क्या जुस्तजू करू तेरे सिवा यहाँ अब,
मेरे हमदम तू आकर मुझे मेरे दर्द में बहलायें.
हाल-ए-दिल का मेरे वो जरा पैगाम सुन जायें.
दुनिया है बेरहम बहुत हैं सताने वाले यहाँ,
उम्मीद मेरे ईश्क की ना वो किसी से घबरायें.
मेरी आरजू की तस्वीर लिए आँखों में आये हैं,
ज़माने वाले देख रहे हैं आँखों में आँखों गड़ाएं.
ये ईश्क जरुरत-ए-जिंदगानी बन गया मेरी,
कभी चेहरे की हसी नजाकत मुझको दिखाएँ.
और क्या जुस्तजू करू तेरे सिवा यहाँ अब,
मेरे हमदम तू आकर मुझे मेरे दर्द में बहलायें.
Wednesday, December 9, 2009
तेरे तक पहुंची क्या सदा तेरी जो निकली मेरी ज़बान से
तेरे तक पहुंची क्या सदा तेरी जो निकली मेरी ज़बान से,
हम तो हो गये तेरे शहर में अब तेरे ईश्क के मेहमान से.
किसी-किसी को क्या खूब हुनर देता है तू मेरे मालिक,
उसकी नजाकत जैसे शबनम बूंदे गिरती हो आसमान से.
अब पता लगने लगा दुनिया में होते हैं दिन और रात भी,
जाने कहा खो गये थे जी रहे थे जाने क्यों गुमनाम से.
जो पीछे छूटा था कभी लगता है वो दोबारा हासिल हुआ,
जिसमें डूब गये थे मेरे अरमा शिकवा नहीं उस तूफान से.
जो कभी थे अजनबी आज इतने करीब हो गये हैं दिल के,
बताओगे मेरे बिना पहले क्या तुम भी रहते थे सुनसान से.
गुज़रे दौर से हालत का सामना शायद फिर करना पड़े मुझे,
फिर खुद को रूबरू पाया ईश्क के एक और इम्तिहान से.
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