तू रूठा ना कर बिन तेरे किसका गुज़ारा होगा,
बहेंगें आसूं हर आसूं में नाम तुम्हारा होगा.
तेरे बगैर मेरी कश्ती की मंजिल बहुत दूर,
मेरी पहुँच से दूर इस सागर का किनारा होगा.
कभी अनजाने में हो जाती है कुछ गलतियां,
कर दो माफ़ तुमसा कौन अपना हमारा होगा.
जब तू ना हो पास मेरे तो दर्द उठता है,
रूह ने जाने कितनी दफा तुझे पुकारा होगा.
लगती है ठोकर कभी तो हंस देता हूँ मैं,
क्योंकि कोई हो ना हो पर तू मेरा सहारा होगा.
तेरा मेरा मिलना जब जब होता है हमदम,
लगे खुदा ने तुझे मेरे लिए जमीं पे उतारा होगा.
Monday, February 15, 2010
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