Wednesday, February 10, 2010

दुवा से जो मिली दवा अब तो निखर जायेंगे

दुवा से जो मिली दवा अब तो निखर जायेंगे,
तेरी हर राह में फूलों से हम बिखर जायेंगे.

चल रहे हैं सुन-सुन आपकी मीठी सदायें,
बता तो मंज़िल ये कदम बढ़ते उधर जायेंगे.

सुकूं की तलाश में फिरते हैं रोज़ दर-बदर,
इसे पाने तेरी नज़रों से मिला नज़र जायेंगे.

हासिल हो गयी जैसे जमी पे जन्नत मुझे,
बता दे तेरे दामन के सिवा किधर जायेंगे.

आज का दिन जाने क्यों कल सा लगता है,
तेरी यादों में निकल शामो-सहर जायेंगे.

खुदा ना करें तू कभी जुदा हो जाये मुझसे,
तेरा नाम लेते-लेते दुनिया से गुज़र जायेंगे.

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