दिल से जो निकले नाम वो तुम्हारा होता है,
सूरत जो देखूं तो बहकने का ईशारा होता है.
दिल की लगी को यूँ ही बुरा नहीं कहते लोग,
इस रस्ते पर चलने वाला ही आवारा होता है.
रात भी है चांदनी भी है पर मज़ा नहीं,
बिन महबूब के अब किसका गुज़ारा होता है.
चंद लम्हों का साथ फिर बोझिल तन्हाई,
तेरे आने से पहले का दर्द अब दूबारा होता है.
कभी दूरियां दरमियां तो कभी नजदीकियां,
इस आग में जलने वाला ही बेचारा होता है.
कौन समझे किसी की आपबीती जनाब,
ईश्क करो देखो कैसे दिल बंजारा होता है.
Saturday, February 13, 2010
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