Friday, December 17, 2010

तुम बस रूह से हमें अपनाने लगो

रूठ जाएँ तुमसे प्यार से मनाने लगो,
हमको हमारी चाह के दीवाने लगो.

चली हो कभी शिकवों की कलम कोई,
मेरी आँखों के आंसुओं से मिटाने लगो.

जिसे आदत नहीं बिन तुम्हारे जीने की,
उसे ना दूर रह इस कदर सताने लगो.

बड़ा दर्द है इस लब्ज़ ए जुदाई में ,
जुदा होके दिल को ना दुखाने लगो.

यूँ चुप बैठे तुम नहीं लगते अच्छे,
सुनो आवाज़ लबों को हिलाने लगो.

जिंदगी में रंग नहीं बिन आपके,
रखो कदम और इसे सजाने लगो.

रख दूँ हर डाली के फूल सिराने में,
तुम बस रूह से हमें अपनाने लगो.

1 comment:

  1. woowwwwww har ek sher bahut sundr hai lucky ....bahut hi ruani ghazal hui hai ...maja a gya ek time k baad tumko padhkar ..hope next time jaldi hi padhne ko milega kuch )

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