Saturday, February 6, 2010

कैसा ये जमघट यहाँ लगा है ज़माने का

कैसा ये जमघट यहाँ लगा है ज़माने का,
लगता है वक्त हो गया अब तेरे आने का.

मेरी नज़र से जब तेरी नज़रें मिलती है,
फिसलता है दिल देख अंदाज़ शरमाने का.

ए साकी ना पूछ चेहरे की हँसी का राज़,
मुझे नहीं है पता रंग उसके फ़साने का.

चुरा वो ले गयी नींदें मुझे हँसा हँसा कर,
पूछा तो बोली नाम फ़लाने का फ़लाने का.

हुआ आगाज तो अभी होगा अंजाम भी,
आज दौर है महफ़िल में रंग सजाने का.

वक्त आएगा तो दिखा भी देंगे यार तुझे,
ये ना पूछ क्या होगा अंदाज़ दिखाने का.

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