Saturday, April 24, 2010

मैं क्या बना ज़माना बना दीवाना तेरा

अदा की शोखिया, प्यार में सताना तेरा,
अज़ब ख़ुशी देता है हँस के जलाना तेरा.
 
ये वक्त ये पल जब गुज़र जायेंगे,
याद आएगा नादानों सा मनाना तेरा.
 
दूर कहीं हसीं वादियों सा अहसास,
कर गया असर प्यार के गीत सुनाना तेरा.
 
चाहत के सपनों के गहरे रंग घोलकर,
दिखता है ख्वाबों की तस्वीर बनाना तेरा.
 
सुनहरी जुल्फें जब लहराती हैं हवा में,
दिल में आग लगायें यूँ हुस्न दिखाना तेरा.
 
वो सादगी दी तेरे चेहरे को खुदा ने,
मैं क्या बना ज़माना बना दीवाना तेरा.

Thursday, April 22, 2010

क्या मिलेगा मुझ से ज्यादा चाहनेवाला

हर मोड़ पर तेरा जो साथ निभानेवाला,
रंगीन हूँ तुझसे नहीं रंग जमानेवाला.

लोग समझते हैं इसे दिवानापन मेरा,
खुदा जाने वो ही इस राह तक लानेवाला.

ईश्क के हालत मोहब्बत की बयानगी, 
तू ही चाहत के गीत सिखानेवाला. 

जीने के बहाने मिल गये हैं आजकल,
वैसे क्या लेके जाता है यहां से जानेवाला.

ईक पल को दिलो-ओ-दिमाग से नहीं हटता,  
तुझे हर ख़ुशी दे जायेगा ये हसीं थमानेवाला.

तू देख जरा इस बेवफा दुनिया को हमदम,
और बता क्या मिलेगा मुझ से ज्यादा चाहनेवाला.

Sunday, April 11, 2010

आज फिर ईक कदम उस ओर बढ़ाना चाहा

दिल की आवाज़ को लबों से सुनाना चाहा,
खुद को ही खुद का हाल दिखाना चाहा.

अपने सपनों के आशियाने की तलाश में,
दुनिया की भीड़ में ग़मों को छुपाना चाहा.

आँखों के अश्कों का समंदर काम आया,
जब-जब ज़माने ने निगाहों से गिराना चाहा.

चेहरे की खिलती इस हँसी की खातिर,
दर्द की आग में अरमानों को जलाना चाहा.

अपनी ही कमियों पे पर्दा डालने के लिए,
साख पर बेवफाई का ईल्जाम लगाना चाहा.

कभी तो किनारे की ज़मीं हासिल होगी मुझे,
आज फिर ईक कदम उस ओर बढ़ाना चाहा.


Saturday, April 10, 2010

काँटों की राहें, नये-नये याराने मिले

काँटों की राहें, नये-नये याराने मिले,
हर मोड़ पर ज़ख्म वही पुराने मिले.

चाहा था छोड़ दूंगा तेरा साथ साकी,
पर हर गली पर फिर तेरे मैखाने मिले.

दिल को जब प्यास लगी ईश्क की,
तो दर्द-ओ-गम से भरे पैमाने मिले.

जब कदम चले उस मंजिल की ओर,
महफ़िल के सारे चेहरे बेगाने मिले.

किस्मत ने भी आंसू बहाए खुद पर,
उसे बेकिस्मती के वो फ़साने मिले.

कभी हँसे तो कभी उदास रहे हम,
हसरतों के कहाँ किसको ज़माने मिले.