Saturday, January 30, 2010

कायनात में फिरते वो बेनकाब बिन बादल बरसात हुयी है

कायनात में फिरते वो बेनकाब बिन बादल बरसात हुयी है,
क्या माहताब क्या गुलाब मुदद्तों बाद मुलाकात हुयी है.

ख्वाबों की कैदगाह का सख्त कफस टूटा हो जैसे आज,
मिला हिसाब को हिसाब हुआ धोखा रंगीन हयात हुयी है.

ए दरिया तेरा शुक्रिया देखी तुझमें आज सूरत है अपनी,
घाटी में हरियाली रंग पर कहा मौजों की शुरुआत हुयी है.

अब तो पत्थर से भी बदतर हो गया नाज़ुक सा दिल,
बिता जो मुझ पे बिता दर्द की भी क्या कोई जात हुयी है.

आदतों में बदल चूका हूँ, पहले सा अब रहा कहाँ हूँ,
मात ही मात हुयी है कब्रों से भला किसकी बात हुयी है.

सहर ने बताया मुझे आज रोज़ कुछ तो होगा ख़ास,
वक्त पे तो वो काम ना आया फिर वही बेदर्द रात हुयी है.

Friday, January 29, 2010

वो पागल है कहती है दुआ से किस्मत सवर जाती है

वो पागल है कहती है दुआ से किस्मत सवर जाती है,
मैंने पूछा तेरी दुआ की वो सदा जाने किधर जाती है.

नहीं पता कहा असलियत के कदम रखते हैं कदम,
दिल और दिल के बीच की हर माला बिखर जाती है.

सुना है वो खुशनुमा मिजाज़ की चादर ओढ़ती है,
सूरज की पहली किरण निकलते ही उधर जाती है.

उसके क़दमों के जादू का बखान करते हैं यहाँ सब,
बहार ही बहार हैं खिलती जहाँ से वो गुजर जाती है.

बदल देती है महफ़िलों का माहौल पल में कुछ यूँ,
आवाज़ की रूमानियत सुन उभर रोज़ सहर जाती है.

हम तो काफिरों में और टूटे दिलों में होते हैं शामिल,
दर पे आती हैं आवाजें, मेरे ना होने की खबर जाती है.

Wednesday, January 27, 2010

भूल गये खुद को अब खुद से ही अनजान हैं


भूल गये खुद को अब खुद से ही अनजान हैं,
कभी जाने-पहचाने कभी अजनबी से इंसान हैं.

पल के साथी बने और पल के बने मेरे दोस्त,
क्या करे बयां जो खुद नहीं खुद के राजदान हैं.

फासले कम नहीं होते सफ़र के बाद सफ़र,
बहुत दूर मंजिल क्या बतायें कितना परेशान हैं.

मुस्कराहटें हैं खिलती कभी आंसुओ की बारिश,
जाने क्यों दिल वाले होते थोड़ा थोड़ा नादान हैं.

धुआं उठते देखते थे देखते थे चेहरा किसी का,
हो गये मिट्टी, वो मंज़र भी हो गये वीरान हैं.

कल जो ये राहें कुछ हँसते-हँसते बोलती थी,
दर्द-ओ-गम की लगी नज़र आज जो सुनसान हैं.

Tuesday, January 26, 2010

मुलाकातों मुलाकातों में हुजूर हमें जान जाईये



मुलाकातों मुलाकातों में हुजूर हमें जान जाईये,
दिल की सुनो अब दिल का कहा मान जाईये.

ये जीस्त बड़ी कीमती इसका हर पल कीमती,
अपने ख्वाबों की तस्वीर अब पहचान जाईये.

आते हैं लोग, और यहाँ से फिर जाते हैं लोग,
बता दें क्या है नाम यूँ ना बन अनजान जाईये.

बेरंग से हैं हम बेखुदी में अब आता नहीं मजा,
खिले चेहरा जिससे थमा वो गुलिस्तान जाईये.

नशा नहीं होता हमें, जो अब पीते हैं शराब तो,
हो जायें मदहोश नज़रों से जता पैमान जाईये.

तन्हाई में गुज़र रहा सफ़र नज़ारे भी हैं सुनसान,
रूह को जो दे सकूँ कुछ ऐसा कर अहसान जाईये.

सूरत की सादगी, खूबसूरती को पी गया बना पैमाना


सूरत की सादगी, खूबसूरती को पी गया बना पैमाना,
मिला उसकी नज़रों से नज़र बन गया उसका दीवाना.

हर एक अदा को उसकी ख्वाबों में देखता रातों को,
फूलों से सजी-सजी धरती हर मंज़र लगे अब सुहाना.

चाँद में उसके अक्स को जब देखा मैंने आज रात भर,
तब समझा क्यों कहता है पागल आशिकों को ज़माना.

जिंदगानी के बाद कज़ा, कज़ा के बाद फिर जिंदगानी,
कैसा ये अज़ब सा सदरंगों से सजा है वक्त का फ़साना.

दुनिया में रश्क है लोगों को जाने क्यों दिलवालों से,
हमें तो अपने किये वादे को है यहाँ मरकर भी निभाना.

फरियादी की फरियाद को जब सुन ले तू ए मेरे खुदा,
फिर यहाँ कौन है किस से दूर, है कौन किस से बेगाना.

टूटा जो दिल रोया जो दिल आँसुओ का वो नज़ारा होगा


टूटा जो दिल रोया जो दिल आँसुओ का वो नज़ारा होगा,
हमसे ना पूछ तू साकी बाद उसके हाल क्या हमारा होगा.

दिल ने दी हैं दुवायें उसके लिए ही निकलती मेरी सदायें,
सोच ज़रा दें हमें बता बाद उसके क्या ईश्क दोबारा होगा.

बयाबानों की हम खाक छानेंगे, तन्हाई का होगा आलम,
आँखों में उसकी तस्वीर लिए बेखुदी का एक मारा होगा.

पागल कहेगा कोई दीवाना कहेगा, कोई हम पे हँसेगा,
बहेगा इस दिल से खून देखने वालो में जहाँ सारा होगा.

सपने बिखर जायेंगे दिन और रात जैसे तब ठहर जायेंगे,
ना देखेगी नज़र पलट, नाम किसी ने राह में पुकारा होगा.

रोयेंगे हम अकेले-अकेले नहीं रहेगी और जिंदगी की चाह,
चाहेगा दिल जिसका साथ ए साकी साथ वो तुम्हारा होगा.

Friday, January 15, 2010

कम हो रही हर पल जिंदगी एक दिन सब गुज़र जायेंगे


कम हो रही हर पल जिंदगी एक दिन सब गुज़र जायेंगे,
सजा लो सपने देख लो सपने इक रोज़ सब बिखर जायेंगे.

बुजदिल भी हैं यहाँ, ज़िन्दादिलों की भी कोई कमी नहीं,
जो टूटा दिल लिए फिर रहे उनसे पूछो वो किधर जायेंगे.

अजीब ये दुनिया कभी रोते आना बिना बताये फिर जाना,
आज जो हमारे इतने करीब एक दिन छोड़ वो घर जायेंगे.

मायने तलाशता हूँ कभी-कभी वजूद क्या चीज़ होती है,
आज सब बोल रहे, ख़ामोशी लिए एक रोज़ मर जायेंगे.

तभी कहते हैं एक-एक पल को खुल कर तुम सब जियो,
जाने वाले कुछ कर यहाँ हसी यादों से आँखें भर जायेंगे.

मरने से तुम डरना नहीं, यूँ तो मरेंगे एक रोज़ हम भी,
पर जाने से पहले दोस्तों तुम्हें कर जरुर खबर जायेंगे.

Thursday, January 14, 2010

जिंदगी तुने मुझे कितने अफसानों से मिलाया



जिंदगी तुने मुझे कितने अफसानों से मिलाया,
महफ़िल से दूर लेजा तुने अनजानों से मिलाया.

सर पर छत ना थी मेरे और तेज़ बारिश थी,
मेरी कस्ती को तुने बेरहम तूफानों से मिलाया.

लाचार हुये जब, हमने सहारों की तलाश की,
पर तुने मुझे मतलबी मेहमानों से मिलाया.

टूटे नहीं हम, पर आँखों से आंसू जरुर बहायें,
जब काँटों से सजे बंज़र बयाबानों से मिलाया.

अपने हिसाब है एक सवाल के कई जवाब हैं,
प्यासा था मैं तुने ज़हर भरे पैमानों से मिलाया.

बदलना यहाँ फितरत है जूझना मेरी आदत,
सिखा जिनसे मुझे उन इम्तिहानों से मिलाया.

आग लगी, मैं जला, बोले वो ये हम हैं


आग लगी, मैं जला, बोले वो ये हम हैं,
मैं जला, जो ना जले वही तो मेरे गम हैं.

मिटाना चाहो तो हमें मिटा दो यार तुम,
सहा नहीं जाता मुझसे बुरे ये सितम हैं.

देखना चाहो तो देख लो वो गहरे निशां,
आगे बढ़ क्यों सहमे से तेरे कदम हैं.

इत्तेफाक रखते हो दो पल की जिंदगी से,
वक्त का क्या भरोसा दो पल के सनम हैं.

किस्मत वालों को नसीब होगी जन्नत,
जी रहे हो जीओ ये मालिक के करम हैं.

रोना क्या, आसूं बहाना है तुम्हें क्यों,
इस जनम जो ना मिले आगे भी जनम हैं.

कभी यहाँ भी बहारों के कारवां चले होंगे


कभी यहाँ भी बहारों के कारवां चले होंगे,
गुलिस्ता के फूल महकते हुये खिले होंगे.

तस्सवुर सजा रहा उन सुनहरे लम्हों का,
जब यहाँ दो दिल एक दूजे से मिले होंगे.

हवा ने छुये होंगे मिलन के हसी नज़ारें,
मोहब्बत की आग में दो परवाने जले होंगे.

दीवानगी की खुशबू आ रही इस मिट्टी से,
नज़रों से नज़रें मिला दिन रात ढले होंगे.

उन्हें क्या डर जिनको रूह पर ऐतबार हो,
बहती नदी को रोकने वाले यहाँ भले होंगे.

कुछ इबारतों का लेखा मिट नहीं सकता,
सच्ची मोहब्बतों के कुछ ऐसे ही सिले होंगे.

Wednesday, January 13, 2010

शराबों में नहीं जो नशा, वो आज तुम अपनी नज़र से चढानें लगे


शराबों में नहीं जो नशा, वो आज तुम अपनी नज़र से चढानें लगे,
ज़रा बताओं क्या बात हुयी जो चाहत के गीत यूँ गुनगुनाने लगे.

ये वक्त जैसे बंद मुट्ठी में रेत सा, आज फिर हाथों से निकल गया,
कहानी परियों की सुना, हाय तुम क्यों इतनी जल्दी अब जाने लगे.

आपकी सोच में अपने हर लब्ज को आज रंगों से जैसे सजों रहा,
लगता है ग़ज़ल को शराब बना, आज खुद को ही हम पिलाने लगे.

बहुत नज़ारे हैं यहाँ, सब में एक अलग आरजू नज़र आये हमें,
हर नज़र की नज़रों के जादू से, हम खुद को अब यहाँ बचाने लगे.

तम्मना का अहसास फिर से जगा, रोशन सा जहाँ महसूस हुआ,
हर दर्द हर सोज़ को ए मेरे सनम, आज फिर हम जैसे हराने लगे.

ईश्क का दौर कभी आसां नहीं, मुश्किल ये राह है दिलवालों की,
याद आया गुज़रा वो दौर, आज फिर उस नाकामी से घबराने लगे.

क्यों ना एक दाँव और खेले, फिर किस्मत आजमाते हैं


क्यों ना एक दाँव और खेले, फिर किस्मत आजमाते हैं,
गम को छुपा दो ज़रा, दिलवाले ही दर्द में मुस्करातें हैं.

सीख जहाँ के रिवाजों से, ख्वाबों को हमेशा जिंदा रख,
तेरी हार में ही जीत के रास्ते बंदे खुदा तुझे दिखाते हैं.

तुझे मोहब्बत ना मिली, तो मोहब्बत ही जिंदगी नहीं,
जाने क्यों ईश्क में लोग यहाँ अपनी हस्ती को मिटाते हैं.

रात का अँधियारा बीत गया तुम दिन का उजाला देखो,
हिम्मत वाले ही राह की हर मुश्किल हंसकर हटाते हैं.

मजाक बनाये ये जमाना तेरा, इस कदर ना तू आंसू बहा,
होश वाले दिल की बातों को, दिल में ही दोस्त छुपाते हैं.

हसरतों का सुहाना मंज़र ना कभी सलामत रहा है दोस्त,
तुम सपनें ना देखो यहाँ, सुना है सपनें अक्सर टूट जाते हैं.

Sunday, January 10, 2010

सबकी नज़रों से दूर, फिर तन्हाई में आज ये दिल रोया है


सबकी नज़रों से दूर, फिर तन्हाई में आज ये दिल रोया है,
जिसे पाकर खुदा को पाया ईश्क का वो हसी मंज़र खोया है.

रातें भी तन्हा, दिन भी मेरे रहते हैं अब तो खाली-खाली,
वक्त का कुछ पता नहीं, शख्स ये जाने कब से नहीं सोया है.

आँखें की बंद, उसकी नफस का फिर रोकर अहसास किया,
दिल के दर्द को यहाँ हर एक ग़ज़ल मैंने में सदा पिरोया है.

आँखों में समुंदर समाया है मेरे, गहराई का अंदाज़ा नहीं,
यादों को लिखूं मैंने हर एक पन्ने को आंसुओ से भिगोया है.

दिल का दर्द सहन नहीं होता कभी, रोकर फिर आराम मिले,
कितनी रातों में खुद को जाने, साकी संग मैखाने में डुबोया है.

ना भूला ना ही भूलूंगा, मोहब्बत के उस बिछड़े फ़रिश्ते को,
उसकी हर याद को, अपनी रूह में हमेशा के लिए सजोया है.

Saturday, January 9, 2010

मैं क्या कहूँ मेरे ज़ज्बातों का चश्मदीद गवाह ये ज़माना रहेगा


मैं क्या कहूँ मेरे ज़ज्बातों का चश्मदीद गवाह ये ज़माना रहेगा,
जिसे सब याद रखेंगें, मेरी कलम का ऐसा कुछ फ़साना रहेगा.

ना रहे अगर तो क्या हुआ मरना तो सबको है दोस्तों एक रोज़,
मरूँगा तो इस बदनाम को याद करने का ये एक बहाना रहेगा.

कितनी सदियाँ आयी, जाने कितनी और सदियाँ यहाँ आयेंगी,
आने वाले आयेंगे इस महफ़िल में, चलता ये आना-जाना रहेगा.

महबूब मेरे माहताब में देखूँ तेरे चेहरे के निशां मै यहाँ हर रात,
पत्थर दिलों को याद हमेशा तेरे जिक्र पर मेरा वो रुलाना रहेगा.

मेरी वफाओं को कौन झूठा कह सकता है इस बेदर्द से जहाँ में,
सब देंगें यहाँ दाद जिसे कुछ इस कदर मेरा ईश्क निभाना रहेगा.

इक पल को सब देखते मुझे, बाद उसके वो सब भूल जाते मुझे,
सहना है अब खुद मैंने जिसे याद मुझे तेरा वो दिल दुखाना रहेगा.

Friday, January 8, 2010

अगर अहसास हैं मुझ जैसे, तो इक बार तू ये नज़ारा देख


अगर अहसास हैं मुझ जैसे, तो इक बार तू ये नज़ारा देख,
हो सके तुझसे तो हर मंज़र में, तू केवल नाम हमारा देख.

हम तो दीवाने हैं जियेंगें भी और तेरी नज़र में मरेंगें भी,
ज़रा गौर से देख मुझे तेरी चाहत की चाह का मारा देख.

हूँ मनमौजी तो क्या हुआ, दिल सच्चा मेरा आसमां सा,
ईश्क में डूब गया, हूँ कैसा बदनाम आज इक आवारा देख.

मुझ जैसा ना मिला होगा, ना ही मिलेगा तुझे शायद कभी,
आरजू लेकर आयी सपनों की महफ़िल का सेज सारा देख.

तेरे ख्वाबों में आऊंगा एक रोज़ तेरी नीदें ज़रूर चुराऊंगा,
आँखों में सूरत है तेरी, चमक रहा खुबसूरत सितारा देख.

मैं नहीं कहता मेरी राह के तस्सवुर सजा तू ए दिलबर,
हो सके तो मेरी इस अनदेखी सी शक्ल को दोबारा देख.

Thursday, January 7, 2010

वो लब्ज जिनमें कहा उसने, हमें तुमसे प्यार है


वो लब्ज जिनमें कहा उसने, हमें तुमसे प्यार है,
कैसे कहूँ दिल मेरा आजकल तेरे लिए बेक़रार है.

आँखों में हजारों सपने हर सपने में ख्वाहिश तेरी,
मेरी प्यासी रूह को तेरे ईकरार का ही इंतजार है.

सोचता हूँ बीती यादों को हमेशा के लिए भूल जाऊ,
हसरत पूरी नहीं हुयी अब ख्वाबो-ख्याली बेकार है.

ऐसे जले की जलने के दाग मिटे नहीं आज तक,
बैचैन दिल में गुज़रे पल का दर्द उठता बार-बार है.

ख्वाबों में मिला हूँ, कभी मिलूँ उससे ख्यालातों में,
मेरी ख़ुशी और मेरे बीच पुरानी यादों की दीवार है.

हँसी आती है कभी, अपनी इस बड़ी कमजोरी पर,
मरते हुये जी रहा ये शख्स यहाँ ईश्क में लाचार है.

Wednesday, January 6, 2010

मेरे ख्वाबों को दिल में लिए, वो बहारों का गुलज़ार सजाती थी



मेरे ख्वाबों को दिल में लिए, वो बहारों का गुलज़ार सजाती थी,
ख्यालों में मेरी ही तस्वीर बना, इस दुनिया से उसे छुपाती थी.

मैंने खुदा को पाया उसमें, दिल्लगी में उसके ही मैं फ़ना हुआ,
जिसे तलाशता हर शख्स यहाँ, उस जन्नत से मुझे मिलाती थी.

यूँ तो पत्थरदिल हुआ करते थे, मोहब्बत से भी अनजान थे हम,
रुख मोड़ दिया मेरा, आंसुओ की नदियों में मेरा नाम बहाती थी.

हर आवाज़ में एक संगीत है, हर नज़र में एक कशिश अजीब हैं,
आँखों से आँखें मिला, अपने ईश्क के ईजहार का गीत गाती थी.

आज हैं हम बेघर, वो इक दौर था जब हम चाहत के मकां में थे,
खोयी-खोयी सी हर लम्हें में मोहब्बत का आशियाँ बनाती थी.

ईश्क के निशां मिटते नहीं, ईश्क करने वालो से पूछो क्यों नहीं,
पहले जो सुनी नहीं थी,  बेकरारी की उन सदाओं को सुनाती थी.

वो महसूस किया जिसे अहसास कहते हैं, अब दिन रात सहते हैं,
सूरज की पहली किरण बिखरी हो जैसे, यूँ वो मिलने आती थी.

ज़ज्बात सही से बयां ना कर सका कभी, यहाँ ये मुंकिन नहीं,
चाँद सा रोशन कर छोड़ जाती मुझे, मिलकर जब वो जाती थी.