उसकी हसरतों में जो लिखी जा रही वो मेरी कहानी बन गयी,
उसके ही नाम की हर्फ़-ए-दुआ अब मेरी मुहजबानी बन गयी.
ना चाहिए दौलत ना ही आरजू मुझे ज्यादा शोहरत की अब,
उसकी तम्मना की हसरत वो ही मेरी अब सरगिरानी बन गयी.
कभी देखूं चाँद को तो वो भी अब मुझे दीवानों सा मदहोश लगे,
रग-रग में उसका नाम हर मुस्कान उसकी निशानी बन गयी.
नज़र जहाँ फेरु वहा मौज ही मौज का नज़ारा अब दिखे मुझे,
दिल में मीठा दर्द जगा रात उसके सपनों की रवानी बन गयी.
लोग हँसते है मेरे हाल पर ख्वाबों में ही खोया रहता हूँ उसके,
बदलाव आ गया हरकतों में फितरत जैसे मेरी मस्तानी बन गयी.
यहाँ बस जीना ही काफी नहीं जिंदगी का साथ भी तो चाहिए,
बरसी बारिश हैरत मुझे मुझ पे जो ईश्क की मेहरबानी बन गयी.
Thursday, December 10, 2009
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