वो तो चल दिया छोड़ मुझे, पर सोज़ का जाम दे दिया,
राह के फूलों को सूखाकर, बेरंग सा उन्हें फाम दे दिया.
जाने वाला चला गया, केवल यादों के किस्से थमा गया,
उन्हीं को बयां करता हूँ, खुद को शायर का नाम दे दिया.
ना वो बेवफा थी कभी, ना ही हमने बेवफाई की कभी,
जो मेरी किस्मत में था, मुझे खुदा ने वो ही दाम दे दिया.
ये जो लंबे-लंबे रास्ते, कभी खत्म नहीं होते इस शहर के,
इन्हीं पर घूम-घूम रोज़ अपनी रूह को मैंने आराम दे दिया.
जिंदगी गर रही सलामत तो उनकी यादों के बखान होंगे,
वो मर कर भी कभी ना मरे, उसने कैसा मुझे काम दे दिया.
Sunday, December 13, 2009
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