Monday, December 14, 2009

अपने सिने में मेरी सूरत छुपा, वो मुझे आजमाने आये हैं


अपने सिने में मेरी सूरत छुपा, वो मुझे आजमाने आये हैं,
अपनी सूरत का दीदार करा, आज वो मुझे तरसाने आये हैं.

छुपाते हैं वो जाने क्यों, अपनी दिल की बात को मुझसे,
आज फिर मेरे चैन-ओ-सुकून को वो मुझसे चुराने आये हैं.

हम हाल-ए-दिल का बयान करते अपनी हर बात में उनसे,
क्या पता जो कभी कहा नहीं, आज वो उसे सुनाने आये हैं.

अदाओं में उनके पूरे कायनात की मासूमियत समायी जैसे,
क्या पता उनको है मोहब्बत मुझसे, आज ये जताने आये हैं.

मेरे दिल में जो आग उन्होंने अपनी नजरों से है लगायी,
शायद उसे आज इजहारे-ए-ईश्क से वो बुझाने आये हैं.

ईकठ्ठा कर रहा हूँ मैं चुन-चुन कर हसरतों के फूलो को, 
क्या पता मेरे सपनों के जहान को आज वो बसाने आये हैं.

हर साख का रंग फीका हो गया उनकी सूरत के सामने,
आज शायद बरसों से दिल में ज़मा प्यार वो लुटाने आये हैं.

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