Friday, December 18, 2009

फिर से उस सपनों की दुनिया में तू आज खोलें


फिर से उस सपनों की दुनिया में तू आज खोलें,
ना सोच तेरे अपनों के सितम वो क्या तुझे बोले.

जब कोई ना मिले तेरे दिल को बहलाने वाला यहाँ,
अपनी पनाह में जा और तू आज फिर थोड़ा रोले.

किस्मत नहीं तेरी तू पाए अपनी हर जुस्तजू को,
दर्द को गले लगा क्यों ना आज उसी का तू होले.

दुनिया मतलबी सब बेरहम दिल वाले हैं यहाँ,
तुझे रखकर सब अपने मतलब के तराजू में तोलें.

तुझे नहीं पता बहुत दिनों से बैचेन है तू दोस्त,
आज सब कुछ भूल चैन की नींद तू ज़रा सा सोलें.

मैं नहीं तेरे अपनों में पर मेरा भी नहीं कोई अपना,
जो दिल बोला मेरा वहीँ लब्ज़ मैनें तूझे आज बोलें.

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