ए मेरे सनम जाने क्यों नहीं अभी तुझे ये खबर है,
तुझे ही ढूढ़ रही हर चेहरे में अब मेरी ये नज़र है.
फासले बस ठिकानों के यहाँ, दिलों के फासले नहीं,
हाथ थामे चल रहा जो साया, वो तू मेरे रहबर है.
तू बेखबर क्या जाने दिल की तम्मना क्या है मेरी,
यहाँ नाम लिखा तेरा ही जितने भी दिवार-ओ-दर हैं.
तेरे लिए बेआबरू हो जाऊ दुनिया की इस महफ़िल में,
चाहू तेरा ही साथ जितने भी किस्मत में मेरे सफ़र हैं.
फूलों सी तुम कोमल, जलते दिये सी तुम उज्जवल,
गमों के बादल छट गये जाने दर्दों के प्याले किधर हैं.
सदा नहीं तेरी अदाओं की बयानगी के लिए मेरे पास,
जो कभी देखे नहीं कहीं कुछ ऐसे तेरे अर्ज़-ए-हुनर हैं.
Wednesday, December 16, 2009
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