Friday, December 18, 2009

दुनिया वालो ईश्क ना करो धोखे का ये एक ज़माल है


दुनिया वालो ईश्क ना करो धोखे का ये एक ज़माल है,
टूटना इसकी फितरत रही ये एक जाम-ए-सिफाल है.

खुदा जाने मैं क्या बताऊँ क्यों मिलते नाकामी के सिले,
किसी को नहीं पता जवाब कुछ ऐसा ये एक सवाल है.

हम जूझ चुके हैं, हम भी टूट चुके हैं इसके तूफान में,
तुम कहोगे फिर कैसे हँस रहे हों जैसे ये एक कमाल है.

किसी के अंदर जो झांक ले वो निगाहें बनी नहीं दोस्त,
धीरे-धीरे बढ़ रहा हूँ मौत की ओर ऐसे ही मेरे हाल हैं.

वक्त क्या होता है,घड़ी की सुइयों का कोई मतलब नहीं,
सनम बिछड़ा जब से एक से दिन एक से मेरे साल हैं.

जज्बातों को मारना मुश्किल ये कम्बख्त मरते नहीं,
हर लम्हें में दर्द की नयी कहानी ऐसे ही मेरे ख्याल हैं.

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