जो चल दिया महफ़िल छोड़, उसे कहा किसी ने याद किया है,
आज फिर याद आया वो भूला चेहरा, चर्चा अरसे बाद किया है.
देखो तुम भी कभी काँटो के रास्ते पर चलकर मेरे दोस्तों,
तो पता लगेगा मेरा दर्द, जो मैंने तुम्हें आज रुदाद किया है.
नहीं देखता यहाँ कोई हारे हुये मांझियों के सफ़र के निशां,
हारकर मिले दर्द की दवा को, कहा आज तक ईजाद किया है.
आँसू पानी ही तो हैं, पर क्यों पानी कभी आँसू नहीं बनता,
सबने देखा खून मेरा, कहा किसी ने दुआ-ए-फरियाद किया है.
पत्थर दिल था वो, हमने भी खुद को पत्थर दिल बना लिया,
कैसे कहूँ किस तरह मैनें ख्वाहिशों के मकां को बर्बाद किया है.
Sunday, December 13, 2009
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