पलकें बंद करते हुये डरता हूँ,
हर पल उसका सजदा करता हूँ.
खो जाती है दुनिया की तस्वीर,
मैं फिर ख्वाबों से उभरता हूँ.
साँस लेने का भी इक कारण है,
लेता साँस उसकी बात करता हूँ.
तुम किस से डरते हो दोस्तों,
मैं बस उसकी जुदाई से डरता हूँ.
जानना चाहते हो तबीयत का हाल,
कभी जीता हूँ तो कभी मरता हूँ.
बड़ी अजीब सी सजा ये मोहब्बत,
जहाँ दूरी का दर्द वही से गुज़रता हूँ.
Tuesday, February 23, 2010
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behad khoobsoorat gajal :)
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