वो लब्ज जिनमें कहा उसने, हमें तुमसे प्यार है,
कैसे कहूँ दिल मेरा आजकल तेरे लिए बेक़रार है.
आँखों में हजारों सपने हर सपने में ख्वाहिश तेरी,
मेरी प्यासी रूह को तेरे ईकरार का ही इंतजार है.
सोचता हूँ बीती यादों को हमेशा के लिए भूल जाऊ,
हसरत पूरी नहीं हुयी अब ख्वाबो-ख्याली बेकार है.
ऐसे जले की जलने के दाग मिटे नहीं आज तक,
बैचैन दिल में गुज़रे पल का दर्द उठता बार-बार है.
ख्वाबों में मिला हूँ, कभी मिलूँ उससे ख्यालातों में,
मेरी ख़ुशी और मेरे बीच पुरानी यादों की दीवार है.
हँसी आती है कभी, अपनी इस बड़ी कमजोरी पर,
मरते हुये जी रहा ये शख्स यहाँ ईश्क में लाचार है.
Thursday, January 7, 2010
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सुंदर रचना
ReplyDeleteनववर्ष की शुभकामनाओं के साथ द्वीपांतर परिवार आपका ब्लाग जगत में स्वागत करता है।
pls visit......
www.dweepanter.blogspot.com
Aapka tahe dilse swagat hai..
ReplyDeleteSwagat hai..
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