Monday, May 3, 2010

रूठा है मुझसे खुद पर ही मैंने ईल्ज़ाम लिया है

रूठा है मुझसे खुद पर ही मैंने ईल्ज़ाम लिया है,
तेरी रुखसत में बहते आसुओं को थाम लिया है.

तेरी जुदाई का डर सताता रहा मुझे रात भर,
वक्त से किया सौदा खरीद दर्द का सामान लिया है.

दिखने लगा बयाबानों पे गुजरने का मंज़र,
सोच उसी को बेचैनी में आज आराम लिया है.

ईश्क-ओ- मोहब्बत दूसरी दुनिया की चीजें हैं,
वक्त के आईने में झांक ये भी पहचान लिया है.

बीती यादें ये बहते आंसू शायद काम आयें,
भर इनको पैमाने में इन्हें बना जाम लिया है.

लाख कोशिश की लकीर हाथों से मिटाने की,
लबों ने फिर भी हर पल उसी का नाम लिया है.

2 comments:

  1. "आखिर की दो लाईन तो कमाल की हैं."

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  2. mind blowing lucky ji ......behad behad khoobsoorat gajal hai :)dil ko choo gayi :)

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